रायपुर, 24 नवंबर 2020, 16.45 हरड़ : इस साल नवंबर में सिर्फ 2 ही विवाह के मुहूर्त हैं । मई 2021 में सबसे ज्यादा 15 दिन शादियां हो सकेंगी ।
देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को मनाई जाएगी । इस दिन से विवाह और दूसरे मांगलिक कामों का सिलसिला शुरू हो जाता है । लोक परंपरा में इस एकादशी को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, इसलिए इस दिन हर तरह के शुभ काम हो सकते हैं ।
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक, नवंबर में विवाह के लिए देवउठनी एकादशी को मिलाकर सिर्फ दो ही दिन मुहूर्त है और दिसंबर में विवाह के 5 मुहूर्त हैं ।
11 दिसंबर साल का आखिरी मुहूर्त होगा । अगले साल भी विवाह की धूम आधा अप्रैल गुजरने के बाद ही होगी, क्योंकि जनवरी से मार्च 2021 तक विवाह का सिर्फ एक ही मुहूर्त 18 जनवरी को ही है । उसके बाद सीधे 22 अप्रैल से शुभ दिन शुरू होंगे ।
तुलसी विवाह वाला दिन शुभ :
देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी शालिग्राम विवाह की परंपरा है, इसलिए इस दिन को विवाह के लिए शुभ माना जाता है । मान्यता है कि इस दिन किया गया विवाह कभी नहीं टूटता और दांपत्य सुख भी हमेशा बना रहता है । इसके अलावा अक्षय तृतीया और वसंत पंचमी को भी अबूझ मुहूर्त मानते हुए शादियां की जाती हैं ।
2020 में थे 49 मुहूर्त लेकिन 26 दिन ही हो पाए विवाह :
इस साल, 2020 के जनवरी से मार्च तक, होली से पहले 19 दिन ही मुहूर्त थे । फिर 15 मार्च से मल मास शुरू हो गया । फ़िर कोरोना के चलते लॉक डाउन में अप्रैल से जून तक 23 मुहूर्त निकल गए । चातुर्मास के दौरान जुलाई से 24 नवंबर तक विवाह नहीं हो पाए । अब देवउठनी एकादशी से 11 दिसंबर तक कुल 7 ही दिन विवाह के मुहूर्त रहेंगे ।
2021 में सिर्फ 51 मुहूर्त :
2021 में विवाह के लिए सिर्फ 51 दिन रहेंगे । 18 जनवरी को पहला मुहूर्त रहेगा । इसके बाद बृहस्पति और शुक्र ग्रह के कारण साल के शुरुआती महीनों में विवाह नहीं हो पाएंगे । मकर संक्रांति के बाद 19 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु तारा अस्त रहेगा ।
फिर 16 फरवरी से ही शुक्र तारा 17 अप्रैल तक अस्त रहेगा । इस कारण विवाह का दूसरा मुहूर्त 22 अप्रैल को है । इसके बाद देवशयन से पहले यानी 15 जुलाई तक 37 दिन विवाह के मुहूर्त है । वहीं, 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी से 13 दिसंबर तक विवाह के लिए 13 दिन रहेंगे ।
वसंत पंचमी पर भी नहीं हो पाएंगे विवाह :
16 फरवरी को वसंत पंचमी है । इसे भी विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना जाता है । लेकिन इस दिन सूर्योदय के साथ ही शुक्र तारा अस्त हो जाएगा । इस कारण पंचांगों में इसे विवाह मुहूर्त में नहीं गिना गया है । हालांकि, लोक परंपरा के चलते उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में वसंत पंचमी पर विवाह होते हैं ।