क्यों लिखते थे नेहरूजी अपनी नन्ही बेटी इंदिरा को पत्र

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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस, 14 नवंबर को “बाल दिवस” के रूप में मनाया जाता है ।

नेहरु जी “चाचा नेहरू” के नाम से प्रसिद्ध थे । बच्चों के लिए उनका प्रेम, उनका स्नेह विशेष था । इसी कारण वे अपनी बेटी, देश की तीसरी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से ख़ास लगाव रखते थे ।

 

 

हमारी मासिक पत्रिका “आदित्य यश” के नवंबर का अंक नेहरू-इंदिरा विशेषांक है, जिसमें पिता-पुत्री के उनके सम्बन्धों एवं पिता के पत्र अपनी बेटी को, जिसमे वे अपनी 10 साल की बेटी इंदिरा को विश्व ज्ञान की बातें लिखकर बताते थे । वे पत्र इसलिए लिखते थे क्योंकि एक प्रधानमंत्री होते हुए, अपनी नन्ही बेटी के मासूम सवालों और जिज्ञासाओं का जवाब देने का उनके पास समय नहीं रहता था । उन्होंने इंदिरा जी को अपने पहले पत्र में कुछ बातें लिखीं और कहा कि दूरी की वजह से (इंदिरा मसुरी में और नेहरू जी इलाहाबाद में) हम बहुत बातें नहीं कर सकते इसलिए मैं तुम्हे छोटी छोटी कथाएँ लिखूंगा ।

जवाहरलाल नेहरु जी ने अपनी बेटी इंदिरा को लगभग 84 या उससे अधिक पत्र लिखे थे । नेहरू ने इन पत्रों को गाँधी जी को दिखाने का फैसला लेकर उनकी राय जाननी चाही । गांधीजी को ये पत्र बहुत अच्छे लगे और उन्होंने ने इन पत्रों को प्रकाशित करवाने के लिए कहा । जिन्हें बाद में रिश्तेदारों और करीबी परिचितों के आग्रह पर उन्हें एक किताब के रूप में प्रकाशित भी करवाया गया ।

नेहरूजी ये पत्र अंग्रेज़ी में लिखते थे । पत्रों का प्रकाशन पहले अंग्रेज़ी और फ़िर हिंदी में भी किया गया । हिंदी में, इन पत्रों को, प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद और कृष्णदत पालीवाल जैसे भाषा के मर्मज्ञों से इन पत्रों का अनुवाद करवाया ।

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