मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार को एक साल पूरा होने आ रहा है फिर भी कुछ ताकते उसे कमजोर करने और गिराने में लगी हुई है ।
बहुत ही सुनियोजित ढंग से, पहले सुप्रीम कोर्ट में एक निलबिंत पुलिस अधिकारी की याचिका लगती है और भ्रष्टाचार के सारे सबूत और FIR होने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट से उसे, सारी FIR पर बिना सरकार को सुने स्टे मिल जाता है ।
इसके बाद CBI, जिसके प्रदेश में बिना सरकार की अनुमति के, प्रदेश में आने पर सरकार की रोक है, सारे मामलो पर जांच करने की मांग करती है ।
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी, बिना सरकार में किसी को बताये, राजधानी में, पुलिस कप्तान अपनी टीम को, मुकेश गुप्ता के आफिस पर छापा मारने दिल्ली भेज देते है । दिल्ली में ये टीम सिर्फ छापा मारने तक सीमित नहीं रहती है बल्कि, बात को पूरी तरह से बिगाड़ने के लिए, निलंबित पुलिस अधिकारी की बेटी की कार का पीछा करके उसका रास्ता भी रोक लेती है, ताकी इस मामले में दिल्ली में FIR हो सके, और उसे छत्तीसगड़ राज्य सरकार के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में प्रयोग किया जा सके, ताकी CBI के, राज्य में प्रवेश का रास्ता बन सके औऱ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ माहौल बन सके ।
क्या मुख्यमंत्री को इन सब विघ्नकारी तत्वों से सावधान रहते हुए कड़ा कदम नहीं उठाना चाहिए ? वर्ना ये विघटनकारी मुख्यमंत्री के प्रदेश में विकास और परम्परा की संवेदनशीलता में बहुत बड़ी बाधा होंगे ।
कुछ लोग नहीं चाहते बघेल जी किसानों और छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए काम करे।