भगवान श्रीराम वनगमन मार्ग को लेकर भूपेश सरकार की सकारात्मक पहल की आशा…

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कोरबा, 04 अगस्त 2020, 13.25 hrs : कल 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर की भूमिपूजन का ऐतिहासिक भव्य कार्यक्रम आयोजित है । इसी परिपेक्ष्य में, छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के इतिहास से जुड़ी है “राम वनगमन मार्ग” में देवपहरी, सीतामढ़ी, सूअरओट, ऋषभ तीर्थ दमोह धारा, पंचवटी जहां से सीता हरण हुआ को समाहित करेगी छत्तीसगढ़ सरकार ।

सीता हरण हुआ या भगवान श्री राम माता शबरी से मिले ???

सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रम तक सीता माता साथ थी जो वर्तमान में भी कोरबा स्थित सीतामढ़ी में है जिसका उल्लेख रामचरितमानस में मिलता है । फिर 2000 किलोमीटर दूर नासिक ( महाराष्ट्र) स्थित पंचवटी से सीता हरण कैसे संभव है । वहां से वापस रामचंद्र जी वापस छत्तीसगढ़ आते हैं और शिवरीनारायण माता शबरी से मिलने पहुंचते हैं ।

कोरबा जिले के कण-कण में राम समाहित है । पग-पग राम नाम की धूल से विभूषित है । कोरबा जिले के देवपहरी से लेकर सीतामढ़ी, सूअरओट, ऋषभतीर्थ दमोहधारा तक राम का अस्तित्व है ।


रामपुर विधानसभा के सीमांत सूअरओट की गुफाओं में तो सीता हरण के शैलचित्र सप्रमाण मिले हैं ।
सूअरओट के नीचे पंचवटी स्थित थी जहां से रावण माता सीता का हरण करके ले गया था जिसके प्रमाण ऋषभ तीर्थ दमऊ धारा से प्रकाशित एक पुस्तक जो 1973 में प्रकाशित हुई थी उसमें उद्धृत है ।
गिद्धा पर्वत जहां जटायु ने माता शबरी का पता बताया था, उसका अस्तित्व भी ऋषभ तीर्थ दमोह धारा के नजदीक स्वप्रमाणित है । वहां से श्री राम माता शबरी के आश्रम शिवरीनारायण पहुंचे थे । तत्पश्चात किष्किंधा वर्तमान में किंधा गांव खरसिया के समीप अस्तित्व को परिलक्षित करता है ।

कोरबा सीतामढ़ी में सुतीक्ष्ण ऋषि का आश्रम था जहां माता सीता के साथ रामचंद्र जी आए थे । इसका जिक्र रामचरितमानस में भी है ।
सूअरओट में प्राप्त शैल चित्र लक्ष्मण जी द्वारा बनाए गए माने जाते हैं जिसमें सीता हरण, हिरण पंचवटी आश्रम और दो मानव आकृति जिसमें एक व्यक्ति को हाथ पकड़कर खींचे जाने, फिर पुष्पक विमान जैसा इंडेक्स बनाया गया है । इसे रॉक आर्ट सोसाइटी भारत सरकार ने भी रावण द्वारा सीता हरण के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया गया है ।

किंतु दुर्भाग्य है कि राम जी के वन गमन मार्ग में सरगुजा जिले में सीता की रसोई का उल्लेख होता है । फिर सीता जी को रावण कहां से हरण करके ले गया ? उसका कोई व्यू मैप नहीं है ।

पंचवटी नासिक जो लगभग 2000 किलोमीटर दूर है वहां से सीता जी का हरण माना जाता है और श्री रामचंद्र जी वापस छत्तीसगढ़ आते हैं और शबरी माता से मिलते हैं ।

रामचरितमानस में उल्लेखित सुतीक्ष्ण मुनि से मिलने रामचंद्र जी माता सीता के साथ जाते हैं और कोरबा स्थित सीतामढ़ी में सुतीक्ष्ण मुनि का गुफा रूपी आश्रम आज भी अस्तित्व हैं ।

सीता जी का हरण कोरबा जिले के सीमांत गांव ऋषभ तीर्थ दमाऊ धारा के पास स्थित पंचवटी से हुआ था । सूअरओट के शैलचित्र इस के स्पष्ट प्रमाण है । इसीलिए रामवन गमन मार्ग में देवपहरी, सीतामढ़ी, सूअरओट, ऋषभ तीर्थ दमोह धारा, पंचवटी जहां से सीता हरण हुआ विशेष रूप से समाहित कर सम्मान प्रदान करना चाहिये ।

(कोरबा क्षेत्र के अमित तमकोरिया जी के फेसबुक पोस्ट से कुछ अंश)

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