रायपुर, 17 अगस्त 2020, 21.15 hrs : हरेली त्यौहार की तरह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर निवास पर “तीजा-पोरा” भी 18 अगस्त को 11.30 बजे से मनाया जाएगा ।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने “तीजा-पोरा” तिहार के आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री निवास में विशेष इंतजाम करते हुए छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति-रिवाज के अनुसार साज-सज्जा की हैं ।
छत्तीसगढ़ का पोरा-तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है । खेती किसानी में बैल और गौवंशीय पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परम्परा है । छत्तीसगढ़ के गांवों में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है । उनकी पूजा-अर्चना की जाती है । घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदीबैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं । घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। बैलों की दौड़ भी इस अवसर पर आयोजित की जाती है ।
18 अगस्त को दोपहर 12 बजे से पोला का कार्यक्रम होगा । इस मौके पर नांदिया-बैला की पूजा की जाएगी । तीजा महोत्सव का आयोजन होगा । तीजा-पोरा तिहार के लिए कार्यक्रम में बहनों को आमंत्रित किया गया है ।
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में एक सेल्फी जोन भी बनाया गया है, जहां नांदिया बैला के साथ लोग सेल्फी ले सकेंगे । कार्यक्रम में पोरा चुकी, शिवलिंग की पूजा की जाएगी । कार्यक्रम में आमंत्रित लोग रइचुली झूला और चकरी झूला का आनंद उठा सकेंगे ।
कोविड -19 के प्रकोप के कारण आयोजन में आमंत्रित लोगों की संख्या सीमित रहेगी । कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों से मास्क लगाकर आने तथा फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की गई है ।
छत्तीसगढ़ में तीजा (हरतालिका तीज) की विशिष्ट परम्परा है, महिलाएं तीजा मनाने ससुराल से मायके आती हैं । तीजा मनाने के लिए बेटियों को पिता या भाई ससुराल से लिवाकर लाते है । छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व की इतना अधिक महत्व है कि बुजुर्ग महिलाएं भी इस खास मौके पर मायके आने के लिए उत्सुक रहती हैं । महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए तीजा पर्व के एक दिन पहले करू भात ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं । तीजा के दिन बालू से शिव लिंग बनाया जाता है, फूलों का फुलेरा बनाकर साज-सज्जा की जाती है और महिलाएं भजन-कीर्तन कर पूरी रात जागकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं ।