कल, 8 नवम्बर, 2019 को नोटबंदी को एक साल हो रहा है ।
तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नोटबंदी का ऐलान किया और ये बताया था कि आपके घर और जेब में रखे हजार और पांच सौ रुपये के नोट कागज़ के टुकड़ों से ज्यादा नहीं हैं, तो मानो देश हिल गया था । चंद मिनटों बाद ही अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया था ।
भारत के 500 और 1000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण, जिसे मीडिया में छोटे रूप में नोटबंदी कहा गया, की घोषणा 8 नवम्बर 2016 को रात आठ बजे (आईएसटी) भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक राष्ट्र को किये गए टीवी में संबोधन के द्वारा की गयी। इस घोषणा में 8 नवम्बर की आधी रात से देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों को खत्म करने का ऐलान किया गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने टीवी सम्बोधन में, इसका उद्देश्य केवल काले धन पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि जाली नोटों से छुटकारा पाना भी था ।
भारत सरकार की ओर से कहा गया कि इस फ़ैसले से लोगों की अघोषित संपत्ति सामने आएगी और इससे जाली नोटों का चलन भी रुकेगा. ये भी कहा गया कि इस फ़ैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी पर निर्भरता कम होगी.
8 नवम्बर, 2016 से 31 दिसंबर, 2019 तक देश मे अफरातफरी मची रही । जमापूंजी लूटने के भय से लगभग हज़ारों लोगों की सदमे में मौत हो गई । नोट बदलने के चक्कर में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को रात रात भर, कई दिनों और हफ्तों बैंकों के सामने लाइन लगाना पड़ा । बच्चों-महिलाओं की विपत्ति के लिए जमा की गई पूँजी में जैसे, डाका पड़ गया ।
नोटबंदी से अघोषित संपत्तियों के सामने आने के सबूत नहीं के बराबर मिले हैं हालांकि इस क़दम से टैक्स संग्रह की स्थिति बेहतर होने में मदद मिली है ।
नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन भी बढ़ा है लेकिन लोगों के पास नकद रिकार्ड स्तर तक पहुंच गया है ।