नई दिल्ली, 10 मई 2021, 19.15 hrs : कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच एक और बीमारी का ख़तरा । इसका नाम है म्यूकरमाइकोसिस, जिसे ब्लैक फंगस भी कहते हैं ।
म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल इंफेक्शन है, जो कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद मिल रहा है । कोविड के साथ ही ब्लैक फंगस का कहर अब सामने आ रहा है । हाल ही में इस पर सरकार ने गाइडलाइंस भी जारी की हैं । इसे रोकने में पर्सनल हाइजीन का भी खासा महत्व है ।
देश में जहां कोरोना महामारी ने अफरा-तफरी मचा रखी है । इस महामारी की वजह से लाखों लोग अपनी जान गवा बैठे हैं, वही महामारी के बीच ब्लैक फंगस इंफेक्शन होने के मामले सामने आ रहे हैं। जोकि एक दुर्लभ बीमारी बताया जाता है । जिसका इलाज कोरोना महामारी की तरह कठिन और दुर्लभ है। हाल ही में दिल्ली के बाद गुजरात में भी इसके मामले देखने को मिले हैं ।
ब्लैक फंगस के नाम से कुख्यात इस बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण हैं – कोरोना, डायबिटीज और स्टेरॉइड्स का बेलगाम इस्तेमाल । किसी को कोविड हो जाए, साथ में दूसरी बीमारियां पहले से हों तो उसकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है । बाहरी इंफेक्शन से शरीर मुक़ाबला नहीं कर पाता और इसी समय होता है इस फंगस का हमला ।
दूसरा ख़तरा है डायबिटीज के मरीजों पर । म्यूकोरमाइकोसिस एक जानलेवा बीमारी है, पर अगर समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है । इसके लक्षण हैं नाक जाम होना, आंखों और गालों पर सूजन या पूरा चेहरा की फूल जाना । कई बार नाक पर काली पपड़ी जम जाती है । आंखों के नीचे दर्द होता है, सिरदर्द रहता है और बुखार आता है ।
इलाज क्या है : माना जाता है कि इस बीमारी से आधे लोगों की मौत हो जाती है ।हालांकि अगर शुरुआती दौर में बीमारी की पहचान कर ली जाए तो रिजल्ट बेहतर आता है । डॉक्टर बताते हैं कि नाक में बाधा, आंख और गाल में सूजन और काली पपड़ी जैसे लक्षण दिखे तो बायोप्सी से इंफेक्शन के बारे में पता लगाया जा सकता है ।अगर शुरुआती दौर में एंटीफंगल थेरेपी शुरू कर दी जाए तो मरीज की जान बच सकती है ।
ये बीमारी है घातक है : अगर लंबे समय तक इसका इलाज नहीं कराया जाए तो यह घातक हो सकता है। पिछले साल अहमदाबाद में इस तरह के 5 मरीज मिले थे । इनमें से या तो ये कोरोना संक्रमित थे या कोरोना से ठीक हो गए थे । इनमें से दो लोगों की मौत हो गई जबकि दो लोगों की आंखों की रोशनी चली गई ।