नई दिल्ली, 01 मार्च 2022, 17.10 hrs : सरकार करदाताओं को बड़ा झटका देने वाली है । पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म कर 70 तरह की छूट मिलती है । रेवेन्यू सेक्रेटरी तरुण बजाज का कहना है कि इनकम टैक्स की पुरानी व्यवस्था के प्रति करदाताओं का आकर्षण घटाने की जरूरत है ।
इस व्यवस्था से इनकम टैक्स अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे । इनकम टैक्स की नई व्यवस्था 2020 में शुरू हुई थी । इसमें टैक्स की दर भले ही कम है, लेकिन डिडक्शन की सुविधा नहीं मिलती है । छूट नहीं मिलने की वजह से नई टैक्स व्यवस्था के प्रति करदाताओं ने दिलचस्पी नहीं दिखाई । ज्यादातर करदाता पुरानी टैक्स व्यवस्था के साथ ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं ।
नया टैक्स स्लैब 2020-21 में आया था : वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में सरकार ने टैक्स की नई व्यवस्था पेश की थी । कहा था कि टैक्स की यह व्यवस्था काफी आसान है । इंडिविजुअल करदाताओं के लिए इसमें टैक्स रेट कम है । लेकिन, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन और सेक्शन 80सी की सुविधा नहीं मिलती है । स्टैंडर्ड डिडक्शन और सेक्शन 80सी की सुविधा से टैक्स का बोझ कम हो जाता है ।
5 लाख तक कोई टैक्स नहीं : नई व्यवस्था में 5 से 7.5 लाख रुपये सालाना इनकम वाले करदाताओं को 10 फीसदी टैक्स देना पड़ता है । पुरानी व्यवस्था में इतनी इनकम पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है । सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली रिबेट के चलते सालाना 5 लाख रुपये तक की इनकम वाले लोगों को नई या पुरानी व्यवस्था में कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है ।
बजाज ने बताया कि सरकार ने पर्सनल इनकम टैक्स में कमी लाने के लिए नई व्यवस्था पेश की थी । बहुत कम लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है । इसकी वजह यह है कि लोगों को लगता है कि किसी व्यवस्था में वह 50 रुपये भी कम टैक्स चुकाएंगे तो वे उसी व्यवस्था का इस्तेमाल करना चाहते हैं । देश में 80सी और स्टैंडर्ड डिडक्शन का इस्तेमाल करने वाले 8-8.5 लाख सालाना इनकम वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है ।
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि लोग नई व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं करना चाहते । इसलिए जब तक हम पुरानी व्यवस्था का आकर्षण नहीं घटाएंगे, लोग नई व्यवस्था को अपनाने के लिए आने नहीं आएंगे । जब तक हम ऐसा नहीं करेंगे, हम अपने टैक्स रेट को आसान नहीं बना सकेंगे ।