श्री शैलेंद्र शुक्ल जी, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी के अध्यक्ष होने के साथ साथ एक बेहद संवेदनशील लेखक भी हैं । गहरी धार्मिक पकड़ के साथ ही वे सामाजिक सरोकार से सम्बंधित विचारों के धनी हैं । बच्चों को धार्मिक गणित पद्धति से पढ़ाने के पक्षधर श्री शुक्ला, समय समय पर मेरी पत्रिका “आदित्य यश” में उनकी कविताएं और आलेख प्रकाशितहोते रहते हैं ।
इस बार, दिसंबर अंक की “आदित्य यश” पत्रिका में उनकी कविता “बेटे, डोली में विदा नहीं होते…” प्रकाशित हुई है जिसमें उन्होंने, किस तरह बेटे भी घर से विदा होते हैं, उसका मार्मिक विवरण दिया है । कैसे, जीवन की जद्दोजहद में, बेटे भी, मजबूरी में घर से दूर चले जाते हैं ।