नई दिल्ली, 03 मार्च 2022, 17.15 hrs : यूक्रेन-रशिया महायुद्ध पिछले 8 दिनों से लगातार जारी है । बहुत ही छोटे से देश यूक्रेन में भारत के करीब 20,000 छात्र मेडिकल और अन्य विषयों की पढ़ाई करने गए हैं । क्योंकि भारत से यूक्रेन की पढ़ाई सस्ती है ।
इस महायुद्ध का अंदाज़ पूरे विश्व को पहले से था । अमेरिका और अन्य देशों ने अपने नागरिकों को बहुत पहले ही यूक्रेन छोड़ने की advisery देकर वहाँ से निकाल लिया था । पर भारत ने इसे बहुत हल्के से लिया और छात्र और नागरिकों की वापसी का कोई इंतज़ाम नही की । यही कहते रहे कि अपने इंतज़ाम से वापस लौट आओ ।
अपने भविष्य की चिंता में, वहाँ फंसे छात्र भी ऑनलाइन पढ़ाई की गुजारिश यूक्रेन की यूनिवर्सिटी से करते रहे । कुछ छात्रों की अंतिम 4th-5वी साल की पढ़ाई चल रही थी । इसलिए वहां रुके रहे कि शायद कोई रास्ता निकले ।
धीरे धीरे यूक्रेन से वापसी मि टिकट भी लाखों में पहुँच गई । छात्रों के पैसे भी खत्म होने लगे । ऐसे में उन्हें भारत सरकार पर भरोसा था कि वक़्त पर सलामत निकाल लिया जाएगा । पर सरकार इसी बात पर अड़ी रही कि छात्र अपने इंतज़ाम से ही लौटें ।
दरअसल, UPA सरकार ने 2009 में आपात स्थिति में विदेशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिये ICWF बनाया था । पिछले 12 सालों में ICWF (इंडियन कम्यूनिटी वेलफेयर फंड) लगभग 500 करोड़ का फंड जमा हो चुका हैं । भारत सरकार इस फंड में से कोरोना और दूसरे एयरलिफ्ट मिलाकर 50 करोड़ भी खर्च नहीं कर सकी । तो क्या हुआ बचे हुए 45 करोड़ ICWF का ? क्यों बचे हुए फंड में से यूक्रेन में फँसे छात्र और अन्य नागरिकों को समय पर निकलने का इंतज़ाम नही हुआ ?
छात्रों के बहुत गुहार लगाने के बाद और 7/8 दिन महायुद्ध के चलने के बाद अब छात्रों को मुफ्त air ticket देकर लेन का एहसान जता रही है सरकार । रेस्क्यू के लिए भेजे गए चार मंत्री और यहाँ स्मृति ईरानी भी सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही गुणगान करते हुए छात्रों को मोदी को धन्यवाद देने की बात कर रही है ।