नई दिल्ली, 05 मई 2020, 20.15 hrs : कोरोना वायरस की महामारी के कारण, केंद्र सरकार ने लॉक डाउन 17 मई तक बढ़ा दिया है, जिस लॉकडाउन का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है । इसीलिए, रिजर्व बैंक अब बैंकों के कर्ज की वापसी पर लगाई गई रोक की अवधि को तीन माह और बढ़ा सकती है ।
कोरोना महामारी को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा लगाए गए लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद के लिए पूर्व में भी तीन माह तक बैंक कर्ज की किस्तें चुकाने से छूट दी है । यह छूट 31 मई तक के लिए दी गई थी ।
पता चला है कि अब जब सरकार ने लॉकडाउन की अवधि 17 मई तक बढ़ा दी है, इसलिए यह माना जा रहा है कि कर्ज किस्तों के भुगतान में छूट की अवधि को भी और आगे बढ़ाया जाना चाहिए ।
भारतीय बैंक संघ सहित कई क्षेत्रों से इस संबंध में सुझाव मिले हैं । राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाए जाने की वजह से अर्थव्यवस्था और कमाई की गति कुछ धीमी हो रही है । ऐसे में कई उद्योग, फर्म वगैरह अपनी मासिक किस्त समय पर नहीं चुका पाएंगे ।
रिजर्व बैंक की तीन माह की छूट अवधि 31 मई को समाप्त हो रही है । कुछ का मानना है कि लॉकडाउन बढ़ने के बाद कर्ज वापसी पर रोक की अवधि को तीन माह आगे बढ़ाना एक व्यवहारिक कदम होगा । ऐसे मुश्किल समय में यह कदम, कर्ज लेने वालों और बैंक दोनों के लिए मददगार होगा ।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों के एक मार्च 2020 को बकाया सभी तरह के सावधिक कर्ज पर वापसी किस्तों के भुगतान में तीन माह के लिए रोक लगाने की पेशकश करने को कहा था ।
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा कर्ज वापसी पर रोक के मुद्दे की समीक्षा भी की गई ।