नई दिल्ली, 27 जून 2021, 17.50 hrs : देश केराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तरप्रदेश के कानपुर देहात के अपने पैतृक गांव परौंख में पहुंच गए हैं । रविवार को पैतृक गांव पहुंचने के बाद वे भावुक हो गए ।
हेलीपैड पर उतरकर उन्होंने अपनी जन्मभूमि पहुंच कर उन्होंने नतमस्तक होकर मिट्टी को स्पर्श किया । उन्होंने कहा कि मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा । लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह कर के दिखा दिया ।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मैं कहीं भी रहूं, मेरा गांव हमेशा मेरे साथ । अपनेअभिनंदन समारोह में उन्होंने कहा कि मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के लोगों की यादें सदैव मेरे दिल में रहती है । मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही ।
पैतृक गांव पहुंचे राष्ट्रपति ने स्थानीय लोगों के अभिवादन को स्वीकार किया ।
भारतीय संस्कृति का जिक्र किया : भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है । हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी । माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है ।’
संविधान-निर्माताओं को नमन किया : इस अवसर पर देश के स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान और योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं । सचमुच में आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है ।