नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है । केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है ।
नई दिल्ली, 29 जुलाई 2020, 19.10 hrs : नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है । केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है ।
जावड़ेकर ने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए ये बेहद महत्वपूर्ण है । इसके बाद बाकायदा प्रेजेंटेशन देकर नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है । इस दौरान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे ।
शिक्षा नीति में जो बदलाव किए गए हैं उनकी जानकारी दी गई है । नई शिक्षा नीति में स्कूल एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं । हायर एजुकेशन के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर) । उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य है ।
सेमेस्टर पद्यति में बड़ा बदलाव : मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है । आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी । स्टूडेंट्स के हित में यह एक बड़ा फैसला है ।
स्कूली शिक्षा में बदलाव :
स्कूल शिक्षा की सचिव ने स्कूलों को लेकर किए गए बदलाव की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि 6-9 वर्ष के जो बच्चे आमतौर पर 1-3 क्लास में होते हैं उनके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा ताकि बच्चे बुनियादी साक्षरता और न्यूमरेसी को समझ सकें । स्कूली शिक्षा के लिए खास करिकुलर 5+3+3+4 लागू किया गया है । इसके तहत 3-6 साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा ताकि उसकी फाउंडेशन लिटरेसी और न्यमरेसी को बढ़ाया जा सके । इसके बाद मिडिल स्कूल याना 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा । फिजिक्स के साथ फैशन की पढ़ाई करने की भी इजाजत होगी । कक्षा 6 से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी ।
अब मंत्रालय का बदला नाम :
34 साल बाद मंत्रालय के नाम का भी किया गया है बदलाव । अब “HRD” अर्थात मानव संसाधन मंत्रालय” का नाम बदलकर “शिक्षा मंत्रालय” रखा गया है ।
रिसर्च में किया गया बदलाव :
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि जो रिसर्च में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा । जबकि जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे । लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद पीएचडी (PhD) कर सकते हैं । इसके लिए एमफिल (M.Phil) की जरूरत नहीं होगी ।