शुरू हुआ “उत्सव मेला” । शराब दुकानों से शराब खरीदने के उत्साह ने धूप की तपिश बनी कूल । सड़कों पर लगा जाम, महिलाओं में आक्रोश

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रायपुर, 04 मई 2020, 12.55 hrs : सवा माह बाद, सोमवार को शराब दुकान खुली और फिर गुलज़ार हुई सड़कें । शराब दूकानें खुलते ही सोशल मीडिया पर, दुकानों पर उमड़ी भीड़ की तस्वीरें वायरल हो रही हैं । शराब की तलब से बेचैन लोग पिछले सवा माह से अपनी तड़प से परेशान थे ।

शराब दुकानें खुलने से लोग इसे सरकार की आर्थिक नीति और लाभ से जोड़ कर देख रहे हैं । किंतु शराब की लत छुड़ाने यही सबसे कारगर उपाय था कि सीधे शराबबंदी ही कर दी जाए । किंतु शराबबंदी के साथ और भी बहुत से उपाय और इलाज भी ज़रूरी है, विशेषकर खानपान, प्रदूषण मुक्त पर्यावरण, तब कहीं शराब की बुरी लत छुटटी है । वर्ना सेहत और जान का खतरा भी बना रहता है ।

आज खुली दुकानों के काउंटर पर संभ्रांत और मध्यम वर्ग के लोग नजर आए । दूसरी ओर, देशी शराब दुकान के काउंटर के बाहर अधिकार दिहाड़ी मजदूर ,श्रमजीवी और निम्न आय वर्ग के लोगों की भीड़ दिखी । शराब दुकान खुलते ही शराब खरीदने का उत्साह ऐसा कि नियम कायदों को दरकिनार कर लोग शराब पाने की होड़ मची हुई थी ।

कहीं कहीं, शराब के लिए लोग, कतार में लगकर दूसरों के लिए शराब खरीद रहे हैं। कतार में लगने के एवज में उन्हें उनके हिस्से का शराब मिल रहा है । एक महीने से अधिक वक्त बाद शराब दुकान खुलने का असर भी दिखने लगा है ।

पुलिस अब तक लोगों को इस बात के लिए सजा दे रही थी कि वह घर से बाहर ना निकले । जैसी कि उम्मीद थी, शराब दुकान खोलते ही सोशल डिस्टेंस नियम का पालन बिल्कुल नहीं हो रहा और संक्रमण फैलने का खतरा गहरा रहा है ।

प्रदेश में स्थिति बेहतर देखते हुए भले ही शराब दुकान खोलने को हरी झंडी दिखाई गई है लेकिन रविवार शाम को ही 14 नए पॉजिटिव मरीज सामने आने के बाद यह सोचने की जरूरत है कि हम इतने भी सुरक्षित नहीं है , जितना की निश्चिंत होकर हम सड़कों पर निकल आए हैं । सोमवार से अधिकांश दुकानें भी खुल गई और बाजार में भी रौनक लौटने लगी है लेकिन असली रौनक तो फिलहाल शराब दुकान के बाहर ही है और ऐसा लग रहा है कि हमारी प्राथमिक जरूरत यही है ।

राशन और सब्जियों का क्या, वह तो शासन या कोई एनजीओ घर तक पहुंचा ही देगी । किंतु शराब दुकानें खुलने और इसकी बिक्री से सबसे ज़्यादा दुखी और आक्रोशित हैं महिलाएं । आर्थिक परेशानियों के साथ साथ अब घरेलू हिंसा भी बढ़ना निश्चित है ।

एक गैर सामाजिक संस्था के सर्वे के अनुसार शराब बिक्री से जितनी आमदनी सरकार को होती है, उससे ज़्यादा खर्चा शराब के कारण होने वाली दुर्घटनाओं, मरीज़ के इलाज और अन्य सम्बंधित मदों में ख़र्च करती हैं सरकारें ।

इस पर चिंतन करना अति आवश्यक है ।

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