कांग्रेस प्रत्याशी देवती कर्मा के पुत्र छविंद्र कर्मा अपनी माँ के समर्थन में उतरे हैं । पूर्व में माँ के नामांकन भरने के बाद वो कहते नज़र आये थे कि कांग्रेस के लिए बड़े गड्डे हैं । किन्तु अब वो ये दमदारी से कह रहे हैं कि 15 साल बाद जब हमारी सरकार आई है तो हमारे आदिवासी समाज को समझ आ रहा है कि इस क्षेत्र में कुछ भी विकास नहीं हुआ है । बेरोजगारी लगातार जारी है । हमारे दंतेवाड़ा क्षेत्र की जनता स्वस्फूर्त काँग्रेस के पक्ष में आती जा रही हैं । यह साफ दिख रहा है कि जनता इसबार कांग्रेस पर विश्वास कर रही है ।
बीजेपी की प्रत्याशी ओजस्वी मण्डावी अपने पति पूर्व विधायक भीमा मण्डावी की शहादत के भरोसे मैदान में है । स्थानीय बोली ओजस्वी मण्डावी बोल नहीं सकती जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें कुछ दिक्कतें हो रही हैं । मन जा रहा है कि ओजस्वी का ज़्यादा समय शहरी क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए लग रहा है । वो कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाने से नहीं चूकती हैं कि सरकार के दबाव के कारण उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में जाने से रोका जा रहा है ।
खैर, आरोप प्रत्यारोप के हथियार से किसकी जीत होती है, कौन सफल होता है ये दांतवाड़ा क्षेत्र के मतदाता अपना मत 23 सितंबर को दे कर तय करेंगे । चुनाव के नतीजे 27 सितंबर को आयेंगे ।