नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत का बयान… कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत को घेरने की कोशिश में बीजेपी…

Spread the love

कोरबा, 8 अप्रैल 2024, 20.55 hrs : कमान से तीर और जुबान से निकले वचन, वापस नहीं लौटते । छत्तीसगढ़ की जनता को रिझाने विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की जुबान से निकले ठेठ छत्तीसगढ़िया बोल, अब उन्हीं पर भाजपा के चौतरफा वार बनकर बाणों की तरह बरस रहे हैं ।

महंत के कर्णभेदी शब्दों से बुना गया भाजपा का चक्रव्यूह तोड़ने, खुद महंत ही मैदान में डटे जूझते दिखाई दे रहे हैं । पर सवाल यह है कि हमेशा कांग्रेस पर गड़बड़ियों और मोदी के विकास के दो मुद्दों पर हमले करती भाजपा, अब कोरबा से लेकर रायपुर तक, आखिर महंत पर क्यों टूट पड़ी है ? जवाब के रूप में यही वजह समझ आती है कि भले ही कांग्रेस के बड़े से बड़े राजनेताओं पर लांछन लगाए जाते रहे हैं पर डॉ. महंत का व्यक्तित्व, बेदाग छवि और विवादों से दूरी ही उनकी ख्याति और जनता में लोकप्रियता ही उनकी असली ताकत रही है । यही छवि तोड़ने और कांग्रेस को घेरने का यह भाजपाई चक्रव्यूह रचा गया है, जिससे मौजूदा परिस्थितियों में अभिमन्यु की तरह डॉ. महंत निकलने की कोशिशें करते मैदान में कूद पड़े हैं ।

अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ तक, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत आज भी प्रदेश में कांग्रेस के किले को संभालने वाले मज़बूत स्तंभ हैं । इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि विवादों के इस बयान के चलते चौतरफा घिरने के बाद भी वे अपनी धर्मपत्नी और कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत के लिए कोरबा लोकसभा चुनावी मैदान में लगभग अकेले भिड़े हुए हैं । यहां तक कि मीडिया ट्रायल में लोकसभा चुनाव के बीच सरेंडर होने का नतीजा कहते हुए डॉ. महंत को वार से पहले हार करार दिया गया । उन्हें भली भांति जानने वाले यह भी जानते हैं कि अपने मस्त स्वभाव और बेबाक बयानों के साथ डॉ. महंत हमेशा ही प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर देते हैं ।

पांच साल पहले के उस दौर की उनकी मुखर बोली स्मरण करें, जन कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने की उनकी संभावनाएं क्षीण हुईं तब समर्थकों में उदासी थी । पर उन्होंने उस पल भी गर्मजोशी से जवाब दिय “सेमीफाइनल में भूपेश, टीएस, मैं और ताम्रध्वज साहू उतरे । मेरा और ताम्रध्वज जी का पत्ता कट चुका है । अब दो खिलाड़ी मैदान में हैं, देखते हैं बाज़ी कौन मारता है । यानी “साफ बयानी और संघर्ष सदा मैदानी” यही राजनीति करने का डॉ. चरणदास महंत का स्टाइल है, जिसे थामें वे शब्दों के इस चक्रव्यूह को तोड़ने पूरे जोश के साथ मैदान में डटे हुए हैं ।

वहीं, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ज्योत्सना महंत चुनावी मैदान में पूरे समर्पण और निष्ठा से सूर्य के ताप की परवाह किये बिना, दिन रात पसीने की शीतलता से, पूरे विश्वास से सरल मुस्कुराहट से जनता से सम्पर्क साध रहीं हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *