1927 में 83 लाख रु. की लागत से तैयार किया गया था संसद भवन । एडविन लुटियन के डिजाइन को भारतीय मजदूरों ने किया था साकार, भारत की कुछ शानदार इमारतों में से एक है संसद भवन ।
मोदी सरकार अंग्रेजों की निशानी खत्म करके पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग बनाने की तैयारी कर रही है । भारत की सबसे शानदार बिल्डिंगों में से एक संसद भवन में तीन साल बाद पार्लियामेंट नहीं चलेगी । 2022 का सत्र नई बिल्डिंग में होगा । केंद्र सरकार ने नई बिल्डिंग बनाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर दिया है । इसके जरिये संभावित बिडर को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा ।पार्लियामेंट की वर्तमान बिल्डिंग साल ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 1927 में बनकर तैयार हुई थी.
देखना है कि कौन सी कंपनी इसका डिज़ाइन तैयार करने के लिए सामने आती है । 2 सितंबर को एक आरएफपी फ्लोट किया था, ताकि कोई भी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां डिज़ाइन तैयार कर के दे । वर्तमान पार्लियामेंट बिल्डिंग का पुनर्निर्माण किया जाए या उसके बगल में नई पार्लियामेंट बिल्डिंग बनाई जाए, इन तमाम विकल्पों पर कंपनियां अपना सुझाव देंगी । स्थिति यह है कि सांसदों, उनके पीएस या अन्य अधिकारियों को बैठने की भी पर्याप्त जगह इस बिल्डिंग में नहीं है.
संसद भवन की बिल्डिंग का इतिहास, मोदी सरकार, लोकसभा, राज्यसभा, आर्किटेक्ट एडविन लटियन और हर्बर्ट बेकर, संसद की नई बिल्डिंग भारतीय संसद की भव्य इमारत ।
किसने तैयार किया था संसद भवन :
भवन का शिलान्यास 12 फरवरी 1921 को ड्यूक आफ कनाट ने किया था । जबकि इसकी शुरुआत तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को की थी । यह बिल्डिंग की उम्र 92 साल हो चुकी है । लोकसभा में कार्यवाही शुरू होने पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा था कि हम सबकी यह आकांक्षा है कि दुनिया के सबसे बड़े गणराज्य और विशाल लोकतंत्र का संसद भवन सबसे भव्य और सबसे आकर्षक बने ।
तब 83 लाख रुपये थी लागत :
92 साल पहले यानी भारत की गुलामी के दौर में जब यह भवन बनकर तैयार हुआ था तब इसकी लागत कुल 83 लाख रुपये आई थी । लेकिन अब नई बिल्डिंग बनाने में कितने सौ करोड़ का खर्च आएगा, यह अभी तक तय नहीं है । इसका डिजाइन ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने तैयार किया था । इसके आर्किटेक्ट भले ही विदेशी थे लेकिन निर्माण भारत की ही सामग्री से हुआ । बनाने वाले श्रमिक भारतीय ही थे.
वर्तमान संसद भवन :
गोलाकार आवृत्ति में निर्मित संसद भवन का व्यास 170.69 मीटर का है । जबकि इसकी परिधि 536.33 मीटर है । यह करीब छह एकड़ में फैला हुआ है । भवन के पहले तल का गलियारा 144 मजबूत खंभों पर टिका हुआ है । हर खंभे की लंबाई 27 फीट है । इसके बीच में मुगलकालीन जालियां लगी हैं ।
A very inappropriate decision, Money can be used for other more reasonable and appropriate benefits of the INDIAN MASSES at large, DR. ZEHRA HASAN, RETIRED PRINCIPAL, BHILAI MAHILA MAHAVIDYALAYA BHILAINAGAR