भारत, 19 अप्रैल 2021, 10.45 hrs : मेडिकल जर्नल लैंसेट में दावा किया गया है कि इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि कोविड-19 हवा के जरिए फैल रहा है । जबकि इसके खांसी या छींक के कारण उत्पन्न हुई बड़ी बूंदों के कारण फैलने के सबूत न के बराबर हैं ।
यही वजह है कि इसको रोकने के लिए जो उपाय किए जा रहे हैं वो सफल नहीं हो रहे हैं । इस शोध में अमेरिका, यूके और कनाडा के छह विशेषज्ञ शामिल हैं ।
शोधकर्ताओं के अनुसार हवा के जरिए फैलने वाले वायरसों को दर्शाना मुश्किल होता है । पिछले कई शोधों से भी पता चला है कि इस तरह से फैलने वाले वायरस को स्पष्ट करना मुश्किल होता है । कई बार जिन संक्रमणों के बारे में यह माना जाता रहा है कि वो बूंदों के जरिए फैले हैं, पर वास्तविकता में वो हवा के जरिए फैले थे ।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता और कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन एनवायरमेंट साइंसेज (सीआईआरईएस) में केमिस्ट जोस-लुइस जिमेनेज ने बताया कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि यह वायरस हवा के जरिये फ़ैल रहा है जबकि बूंदों के जरिए फैलने की सम्भावना के कोई सबूत नहीं मिले हैं । ऐसे में सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही प्रमुख एजेंसियों जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन को चाहिए की वो इस वायरस के फैलने सम्बन्धी वैज्ञानिक सबूतों को अपनाएं जिससे इस वायरस के प्रसार को रोका जा सके ।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ट्रिश ग्रीनहाल के नेतृत्व में विशेषज्ञों के एक दल ने इस शोध की समीक्षा की है और 10 ऐसे पुख्ता सबूत पेश किए हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह वायरस हवा के जरिए फ़ैल रहा है । उनकी इस लिस्ट में सबसे ऊपर स्कैगिट चोईर जैसी घटनाएं हैं जिनमें बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला था । इस घटना में एक ही व्यक्ति से करीब 53 लोग संक्रमित हो गए थे । हालांकि किए गए अध्ययनों के अनुसार इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि वहां लोग आपसी संपर्क में आए थे । या फिर उन्होंने सतहों या वस्तुओं को छुआ था ।
यदि कोरोना संक्रमण के प्रसार की दर देखें तो वो बाहर की तुलना में बंद स्थानों पर ज्यादा है, जहां वेंटिलेशन की सुविधा कम है । जिसका मतलब है कि इनडोर वेंटिलेशन से इनका प्रसार बहुत कम हो जाता है ।
शोधकर्ताओं के अनुसार बिना लक्षण वाले लोगों की संक्रमण के फैलने में कम से कम 40 फीसदी की हिस्सेदारी है । जबकि इन लोगों में खांसने और छींकने के कोई सबूत नहीं हैं । इस तरह का संचरण इस बात को सोचने पर मजबूर कर देता है कि यह वायरस हवा के जरिए फ़ैल रहा है । इस तरह का साइलेंट प्रसार दुनिया भर में इस वायरस के फैलने के लिए जिम्मेवार है । शोधकर्ताओं ने इस बात की भी पुष्टि की है कि होटल के दो कमरों में आसपास रहने वाले लोगों के बीच भी संक्रमण फैला था जो कभी एक दूसरे के संपर्क में नहीं आए ।
इसके विपरीत इस बात के कोई सबूत नहीं मिले है कि यह वायरस बूंदों के जरिए आसानी से फैलता है । जो जमीन पर गिरती हैं और सतह पर मौजूद रहती हैं| शोध के अनुसार बूंदों के जरिए संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हाथों को धोना, सतह को साफ रखना और सामाजिक दूरी, मास्क जैसे उपायों पर बल दिया गया है वो उपाय बेकार नहीं हैं बस उनके साथ-साथ हवा के जरिए वायरस के प्रसार और उसकी रोकथाम पर भी ध्यान देना जरुरी है ।
कैसे करें बचाव :
यदि संक्रमण फैलाने वाला एक वायरस सांस के जरिए निकली बड़ी बूंदों के जरिये फैलता है जो जल्दी नीचे गिर जाती हैं । ऐसे में उनसे बचाव आसान है इसके लिए संक्रमण के सीधे संपर्क में आने से बचना है । साथ ही साफ-सफाई, सामाजिक दूरी, मास्क का उपयोग जैसे उपायों से बचा जा सकता है । यह सभी बातें घर के अंदर और बाहर दोनों जगह समान रूप से लागु होती हैं । लेकिन यदि वायरस हवा के जरिए फैलता है तो कोई व्यक्ति सांस के जरिए भी संक्रमित हो सकता है ।
जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस छोड़ता है, बोलता, चिल्लाता, गाता, छींकता या खांसता है तो यह वायरस उसके शरीर से मुक्त हो सकता है । ऐसे में वायरस से बचने के लिए वो उपाय करने होंगे जिनकी मदद से यह वायरस संक्रमित एयरोसोल की मदद से सांस के जरिए शरीर में न जा पाए| इसके लिए पर्याप्त वेंटिलेशन, साफ़ हवा, भीड़ से बचना, जरुरी न हो तो घर में रहना, घर के अंदर भी मास्क का उपयोग, मास्क की गुणवत्ता पर ध्यान देना ।।साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को भी बेहतर सुरक्षा उपकरण देना शामिल है ।(downtoearth.org.in)