रायपुर, 06 जुलाई 2020, 17.25 hrs : (नौशाद अली, नई दिल्ली का आलेख)
छह जुलाई की सुबह के आठ बजे उन्होंने अखबारों में एक बच्ची के संघर्ष और सफलता की कहानी पढ़ी और इतनी खुश हुईं जैसे वो बच्ची उनकी अपनी है । बच्ची के हौसले की तारीफ करते हुए उनके Tweet का हर शब्द उनकी खुशी का गवाह है । उन्होंने लिखा:
मिरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा,
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा ।
अमीर कज़लबाश का ये शेर लिखने के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश के भिंड जिले की रोशनी भदौरिया के संघर्ष और सफलता की कहानी अपने Tweet में लिखी । ये आईएएस अफसर हैं छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की एमडी डॉ. प्रियंका शुक्ला । डॉक्टर प्रियंका शुक्ला ने Twitter पर अपना परिचय ऐसे कराया है ।
‘MBBS by education, IAS officer by job. Painter, Singer, Contemporary Dancer, Calligrapher, Doodler & Culinarian by passion. Poet at heart.
वो दिल से कवि हैं इस बात कि गवाही उनका हर Tweet देता है । उन्हें हर मौके के लिहाज़ से बड़े शायरों के शेर याद हैं । वो खुद भी कविताएं लिखती हैं । उनका मिजाज और दिल कैसा है ये बात उनकी लिखी कवितओं में आईने की तरह साफ नज़र आती है । उन्होंने 8 जून को अपनी लिखी पंक्तियां Twitter पर शेयर की थीं ।
“मुश्किलें चाहे कितनी भी हों
हमेशा
मेरा हौसला बढ़ाती हें
क्योंकि…
ख़ूबसूरत सुबहें
अंधेरी रातों के बाद ही आती हैं
प्रियंका”
डॉक्टर प्रियंका हमेशा हौसला बढ़ाने और मुश्किलों को हराने की सीख देती हैं । समाज की हर बेटी के लिए उनके मन में कितना प्यार है । इसका सबूत उनकी इस कविता में मौजूद है ।
“क्योंकि बिटिया तुम सबसे प्यारी हो
तुम हम सबकी दुलारी हो
धैर्य, प्रेम,सामर्थ्य, समझ में
तुम दस बेटों पर भारी हो
सबका ख्याल रखती
सबपर स्नेह बरसाती
तुम इस जग में न्यारी हो
अपने स्वास्थ्य,स्वच्छता का ख़्याल ज़रूर
रखो क्योंकि तुम..
अभिमान हमारी हो
प्रियंका”
डॉक्टर प्रियंका प्रकृति प्रेमी हैं । वो अक्सर सुंदर तस्वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं । डॉक्टर प्रियंका की जो सबसे खास बात है जिसने मुझे उनपर ये लेख लिखने के लिए मजबूर किया है वो है उनकी सकारात्मक सोच । वो समाज के हर व्यक्ति को मुश्किलों से लड़कर जीतने की प्रेरणा देती हैं । उनके कुछ Tweet का जिक्र करना ज़रूरी है ।
2 जुलाई को उन्होंने लिखा :
“जितनी बार गिरो उतनी बार उठो, कभी हार मत मानो!”
19 मई को उन्होंने लिखा था :
“यदि आपको कभी भी कोई कार्य कठिन लग रहा हो – तब उन सभी लोगों को याद कर लेना चाहिए जिन्होंने कभी आप से कहा था “तुमसे ना हो पाएगा”…
..उस कार्य को करने के लिए इच्छाशक्ति स्वत: मिल जाएगी!”
1 जून को उन्होंने लिखा :
“गिरते हैं..
टूटते हैं..
हारते हैं..
पर फिर एक बार..
संभलते हैं..
उठते हैं..
और आगे बढ़ते हैं”
18 जून को उन्होंने लिखा :
“निंदकों को दंड देने की जरूरत नहीं, वह खुद ही दंडित है । आप चैन से सोइए और वह जलन के कारण सो नहीं पाता ।”
डॉक्टर प्रियंका सिर्फ शब्दों से प्रेरणा नहीं बिखेरतीं बल्कि वो अपने काम से भी लोगों का मन मोह लेती हैं । छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए वो हर जिले में जाकर कोरोना मरीजों को मिल रहे इलाज का निरीक्षण कर रही हैं । कभी रात के एक बजे पीपीई किट पहनकर असपतालों में नज़र आती हैं । तो कभी दिन में मुआयना करने पहुंच जाती है ।
यही नहीं अगर जनता को ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित करना हो तब भी वो सबसे पहले खुद ब्लड डोनेट करती हैं । डॉ. प्रियंका मेहनती हैं, ईमानदार हैं लेकिन कड़क अफसर कतई नहीं हैं । क्योंकि जब वो कहती हैं कि “Officer in me…in action” उस तस्वीर में भी उनके चेहरे पर मासूम सी मुस्कान ही नज़र आती है । वो स्वामी विवेकानंद से प्रभावित हैं । 4 जुलाई के एक Tweet में उन्होंने लिखा है :
“उठो, जागो और तब तक मत रुको .. जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए । स्वामी विवेकानंद जी की यह उक्ति हमेशा उन उक्तियों में रहेगी – जिन्होंने अब तक मेरे जीवन को सबसे अधिक प्रेरित और प्रभावित किया !”
डॉ. प्रियंका अपने परिवार से बेहद प्यार करती हैं । वो गुरू पूर्णिमा पर अपने छोटे भाई को गुरू का दर्जा दे देती हैं तो पिता को समर्पित कर एक कविता ही लिख देती हैं ।
“पिता की संज्ञा से प्रतिबद्ध
मैं सदा ही नितांत गम्भीर रहा
तुम्हारे दु:ख से कितनी दुखी था
पर मैंने कुछ भी न कहा
मेरा काम ही परिवार में दरख़्त की तरह
सख़्ती से…बिना हिले खड़े रहना है
तुम पर कोई भी दुख पड़े
उससे पहले उसे मुझे ही सहना है
प्रियंका”
डॉक्टर प्रियंका शुक्ला की ये कहानी लिखने का मकसद सिर्फ उनकी तारीफ करना नहीं है । बल्कि इसका मकसद है उन लोगों को प्रेरित करना जो मुश्किलों से डर जाते हैं । उन अफसरों के दिलों में नर्मी जगाना जिन्हें हालात ने सख्त बना दिया है ।