बिलासपुर, 30 जनवरी 2020, 18.30 hrs : छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य के समाज कल्याण विभाग में हुए 1000 करोड़ रुपए के घोटाले को सही मानते हुए, आज गांधी जी के पुण्यतिथि के दिन आदेश जारी किया कि संबंधित विभाग के खिलाफ एक सप्ताह के भीतर एफआईआर दर्ज किया जाए । आरोपी अधिकारियों में दो पूर्व मुख्य सचिव सहित 7 आईएस शामिल ।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तीन माह पूर्व सुरक्षित रखे आदेश जारी करते हुए, भ्रष्टाचार के एक मसले पर दायर जन हित याचिका पर सुरक्षित रखे गए निर्णय को आज सार्वजनिक किया। इस इस मामले पर 24 अक्टूबर 2019 को न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रख लिया था जिसे आज गांधी जी के पुण्यतिथि के अवसर पर जारी किया गया । एक हज़ार करोड़ घोटाले को सही मानते हुए मामले में आदेश दिया है कि – “CBI एक सप्ताह के भीतर FIR दर्ज करे.. पंद्रह दिनों में विभाग से दस्तावेज जप्त करें” ।
हाईकोर्ट में जस्टिस प्रशांत मिश्रा और पार्थ प्रतीम साहू की बेंच ने फ़ैसले में उल्लेखित किया । फैसले में यह भी उल्लेखित है कि “CBI जब भी जरुरत पड़े, कोर्ट में उचित आवेदन के माध्यम से मदद ले सकती है ।
जिन अधिकारियों के विरुध्द हाईकोर्ट ने FIR के आदेश दिए हैं उनमें दो रिटायर सीएस , विवेक ढांढ व सुनील कुजूर और एमके राउत रिटायर ACS आलोक शुक्ला, पूर्व आईएएस बी एल अग्रवाल, सतीश पांडेय, पी पी सोटी, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हेमंत खलखो, एम एल पांडेय और पंकज वर्मा के नाम शामिल हैं । इनमें से छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड रिटायरमेंट के बाद भी संविदा में वर्तमान में आज रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं ।
यह मामला समाज कल्याण विभाग से जूड़ा हुआ है, जिसमें याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से यह आरोप लगाया गया था कि, राज्य स्त्रोत निःशक्त जन संस्थान काग़ज़ों में बनाई गई, इसमें याचिकाकर्ता एवं अन्य को कर्मचारी बताकर वेतन आहरित किया जाता था और पूरा सेटअप चलाया जाता था । इस जन संस्थान के माध्यम से निःशक्त जनों को प्रशिक्षण दिया जाना और उन्हें बेहतर जीवन उपलब्ध कराए जाने की क़वायद की जाती थी । लेकिन यह सब कुछ काग़ज़ों में था । याचिका में आरोप लगाया गया कि बीते दस सालों में इस संस्थान के माध्यम से एक हज़ार करोड़ का घोटाला किया गया ।