रायपुर, 02 अक्टूबर 2020, 16.15 hrs : केंद्र सरकार की स्कूल/कॉलेज को 15 अक्टूबर से खोलने की गाइड लाइन से बच्चों के पालक परेशान हैं । जब कॉलेज के युवा इस महामारी के ख़तरे को भांप नहीं पा रहे हैं तो छोटे बच्चे कैसे समझेंगे ?
कोरोना महामारी के खतरे को शायद देश के कर्णधार भी नहीं समझ पाये हैं । इसीलिए अबोध बच्चों के जीवन से खिलवाड़ करने में यह खतरनाक निर्णय ले रहे हैं । हैरानी की बात है कि इन मासूम बच्चों के भविष्य को प्रदेश सरकार पर छोड़ दिया गया है ।
अब देश या प्रदेश की सरकार ये कैसे नहीं समझ पा रही है कि देश के सभी प्रदेशों में कोरोना वायरस का विकराल रूप, इन 6 महीनों के बाद भी, सतत जारी है । लाख कोशिशों के बाद भी, जब बड़े इस संक्रमण की गम्भीरता नहीं समझ रहे हैं तो स्कूल/कॉलेज के विद्यार्थी क्या समझेंगे ?
आने वाले महीनों से शीत का प्रकोप भी जारी हो जाएगा जिसमें सर्दी ज़ुकाम पूरे चरम पर रहता है । अब देखना होगा कि इस शीतकाल में कोरोना क्या रंग दिखाता है । जानकार बताते हैं कि सर्दी ज़ुकाम और बुख़ार ही कोरोना की जड़ है । इस संक्रमण काल मे गर्मी और बरसात के मौसम तो देख चुके हैं । अब शीतकाल को भी देख लें !
इधर छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि यहाँ हालात स्कूल खोलने के अनुकूल नहीं है, बच्चों को स्कूल आने बाध्य नहीं किया जायेगा, ऑनलाइन पढ़ाई चलती रहेगी । उन्होंने कहा है कि पलकों से लिखित में बच्चों को स्कूल भेजने की सहमति ली जाएगी ।
वैसे, ये तय है कि कोरोना संक्रमण के भयानक अंजाम से चिंतित माता पिता अपने बच्चों को स्कूल/कॉलेज भेजने पर बिलकुल सहमत नहीं होंगे ! अब सरकारें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करें … बहुत ही संवेदनशील मामला है ।