नई दिल्ली । देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई आगामी 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं । रिटायरमेंट से पहले उन्हें चार में से तीन बड़े मुकदमों पर फैसले लेने हैं ।
ये केस हैं – अयोध्या विवाद, शबरीमाला केस, राफेल डील केस और कोर्ट तथा सीजेआई ऑफिस के सूचना के अधिकार के दायरे में लाने का मामला ।
अयोध्या केस – देश का सबसे बड़ा मामला राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अयोध्या विवाद है, जिसमें 18 अक्टूबर को बहस समाप्त हो गई थी । CJI गोगोई ने स्वयं एक सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि यदि फैसला चार सप्ताह में सुनाया जाता है, तो यह एक चमत्कार होगा ।
सबरीमाला मंदिर केस – 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति थी । इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर हुई । बीती 6 फरवरी को CJI गोगोई, जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस ए.एम. खानविल्कर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने 45 से अधिक समीक्षा याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था ।
राफेल फाइटर जेट सौदा – दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल फाइटर जेट सौदे में आपराधिक जांच से इनकार कर दिया था । इसके खिलाफ याचिकाएं दायर हुई थीं । CJI गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस साल मई में इन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था । अब सीजेआई को रिटायरमेंट से पहले सुनवाई करना है ।
RTI के दायरे में सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई का ऑफिस – सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह फैसला भी लंबित है कि आरटीआई अधिनियम के तहत सर्वोच्च न्यायालय और CJI के ऑफिस को ‘लोक प्राधिकार’ माना जा सकता है या नहीं । यह मामला एक दशक से लंबित है । दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने फैसला सुनाया कि CJI का कार्यालय RTI जांच के लिए खुला है ।