छतीसगढ़ के राजगीत में अरपा अव्वल !!

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– प्राण चढ़ा द्वारा

छतीसगढ़ राज्य के गीत में बिलासपुर की जीवन रेखा अरपा नदी, प्रथम पँक्ति का प्रथम शब्द है। छतीसगढ़ के नव नियुक्त मुख्य सचिव आरपी मण्डल जब बिलासपुर में कलेक्टर बन कर आये थे तब उनके साथ अरपा नदी बचाने का जज्बा पूरे शहर में जनभागीदारी में उमड़ा और हजारों हजार नागरिकों एवं संस्थाओं ने अगली बारिश के पहले रेत और बोरे से पानी रोक शहर का भूजल स्त्रोत उन्नत कर दिए। मीडिया की भागीदारी भी अहम जुड़ी रही।

बिलासपुर के मौजूदा कलेक्टर डॉ संजय अलंग ने पदभार ग्रहण करने के अगले दिन नदी से रेत खनन करते दो दर्जन ट्रैक्टर की धरपकड़ करा दी। नदी के छ्ठ घाट में पूजन के लिए हजारों श्रद्धलुओं पहुंचते हैं। इस बरस सीएम भूपेश बघेल और विधान सभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत ने भी छठ पर्व पर यहां शिरकत की। अरपा नदी बचाने के लिये चुनाव लड़े जाते हैं,नदी देवी की पूजा की जाती है, इसे बचाने आंदोलन खड़े होते हैं। पर नदी के साथ न्याय नही हो रहा, वह सबकी मां पर उसका बेटा कोई नहीं, नतीजतन, हाल यथवत नहीं अलबत्ता बद्तर हो रहे है, इसके प्रमाण में वीडियो पोस्ट में चस्पा है। नदी वैध अवैध रेत उत्खनन के कारण बड़े बीहड़ में तब्दील हो रही है।

विकास निर्माण अपरिहार्य है और रेत इसमें भी जरूरी। पर बिलासपुर नगरनिगम की नई सीमा से दस किमी दूर रेत घाट दिए जाएं। कोई यह तर्क मान्य नहीं होगा कि, परिवहन दूरी से रेत महंगी होगी तो मकान निर्माण महंगा होगा। सवाल नदी को बचाने का है। नदी का जल है, तो शहर बचा रहेगा। अब हमें टेम्स नदी या साबरमती नहीं चाहिए। हमें दिखाया सारा सपना बिखर गया है,अब हमें बस वह अरपा नदी चाहिए जिसके पुराने पुल से हम दोस्त कभी साल में तीन माह कूद {उड़ी मार } कर तैरते थे। वह नदी चाहिए,जहां पचरी घाट के करीब बड़ी नौका चलती थी,वह अरपा चाहिए जिसमें कुछ साल पहले तक कोनी के पास नदी में सुर्खाब पक्षी कंवल सा तैरते दिखते थे।
(छतीसगढ़ राजगीत के रचयिता ,डॉ नरेंद्र देव वर्मा है,उसका कॉपी पेस्ट महेश पांडेय जी की वाल से साभार।)

 

 

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