रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरुद्ध ACB में दर्ज मामले के ख़ात्मे की को लेकर पेश प्रतिवेदन दुर्ग कोर्ट ने स्वीकार लिया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ACB ने तत्कालीन कलेक्टर दुर्ग आर संगीता के द्वारा गठित समिति की सिफ़ारिश के आधार पर आरोपी बनाते हुए अपराध दर्ज किया था ।
पाटन विधायक रहते हुए साडा सदस्य रहे भूपेश बघेल पर उनके भतीजे विजय बघेल, पूर्व विधायक विरेंद्र पांडेय और अधिवक्ता अशोक शर्मा ने आरोप लगाए थे ।
शुरु में शिकायत मिलने पर ACB ने शिकायत वापस शासन को सौंप दी, जिसके बाद तत्कालीन कलेक्टर आर संगीता ने समिति गठित की जिसने भूपेश के खिलाफ रिपोर्ट दी । समिति की इस रिपोर्ट के बाद शासन ने फिर ACB को प्रकरण में अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए ।
जब यह प्रकरण दर्ज हुआ, भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे, और तब इस मामले को दबाव बनाने की रणनीति के रुप में कांग्रेस ने पेश कर के प्रकरण को फ़र्ज़ी बताया था । कांग्रेस का आरोप था कि क्योंकि भूपेश बघेल रमन सरकार पर लगातार हमला कर रहे हैं और गड़बड़ियों को उजागर कर रहे हैं, इसलिए उनके खिलाफ फ़र्ज़ी केस बनाये जा रहे हैं ।
ACB ने बीते पाँच सितंबर इस मामले में दुर्ग न्यायालय में एडीजे अजित कुमार राजभानू स्पेशल कोर्ट के समक्ष खात्मा प्रतिवेदन पेश किया था । ACB ने साफ तौर पर कहा कि जांच में ये बात साबित हो गई है कि भूपेश बघेल के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता । वकील ने भी कहा कि जानबूझकर परेशान करने की नीयत से उन्हें एसीबी का इस्तेमाल कर फंसाया गया । कोर्ट ने इस पर तीनों शिकायतकर्ताओं को नोटिस दिया और बीस सितंबर को विजय बघेल ने आपत्ति दर्ज कराई । लेकिन, कोर्ट ने उसे स्वीकार नही किया ।
कोर्ट ने आज शाम पाँच बजकर पच्चीस मिनट पर इस मामले में घोषणा की –
“ACB का खात्मा प्रतिवेदन स्वीकृत किया जाता है।”