बिलासपुर, 30 सितंबर 2020, 19.05 hrs : यादवों की छत्तीसगढ़ में लगभग 30 लाख की आबादी है । यादव समाज, भारतीय जनता पार्टी का बहुत बड़ा वोट बैंक है जो हिंदूवादी विचारधारा से जुड़कर, भारतीय जनता पार्टी को हमेशा साथ देते आ रहा है ।
यादव समाज सबसे ज्यादा कट्टरपंथी समाज माना जाता है । लेकिन दुर्भाग्य कि जिस समाज के बदौलत भाजपा ने 15 साल तक राज किया, उसी समाज को फिर छला गया है ।
2018 के विधानसभा चुनाव में यादव समाज को प्राथमिकता नहीं दी गई, जिसका पूरे प्रदेश में विरोध हुआ । साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी में भी अपेक्षाकृत सम्मान नहीं मिला । लेकिन वर्तमान समय में भी यादव समाज के लोगों ने विगत विभिन्न चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सहयोग किया ।
इसे यादव समाज का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदों पर बैठे, उच्च समाज के लोगों ने फिर एक बार यादव समाज को छला है । पूरे प्रदेश के एकमात्र मधुसूदन यादव को छोड़ दें तो इनके अलावा एक भी जिलाध्यक्ष नहीं बनाए गए ।
प्रदेश कार्यकारिणी में भी, मात्र एक राकेश यादव को लिया गया है । इससे स्पष्ट है भारतीय जनता पार्टी यादव समाज को अपना वोट बैंक तो समझती है । लेकिन हम लोगों से सिर्फ बनिहारी कराती है ।
इस संदर्भ में सर्व यादव समाज के प्रदेश अध्यक्ष रमेश यदु ने यादव समाज को जागृत करते हुए कहा है कि आज समय आ गया है कि हम अपने अधिकार की लड़ाई के लिए संघर्ष हेतु तैयार रहें । आने वाले समय में इन्हें मुंहतोड़ जवाब दें । हम जीवन भर इन्हें वोट देते रहेंगे और ये हमें चोट देते रहेंगे । इससे अच्छा है कि हम अपने आप में संगठित हों और अपना एक स्वयं का दल बनाएं ।
रमेश यदु ने कहा कि विष्णु देव साय भाजपा में, प्रदेश के अध्यक्ष है, मात्र मोहरा है । आदिवासी नेता होने के कारण, सीधे-साधे पड़ते है, पर चलती किसी और की है । इसलिए भाजपा की इस नई कार्यकारिणी का, यादव समाज खुलकर विरोध करता है । यादव समाज की हुई उपेक्षा की निंदा और भर्त्सना करता है ।
प्रदेश अध्यक्ष रमेश यदु ने आगे कहा है कि वे पहले ही कहते आ रहे हैं कि हमारी सामाजिक भावनाओं को हमेशा ठेस पहुंचाया जा रहा है । 2003 के चुनाव में उस वक़्त के कांग्रेसी, अजित जोगी ने एक भी टिकट यादव समाज को नहीं दी थी । उस स्थिति में यादव समाज ने बगावत कर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता दिलाई । लेकिन अपेक्षाकृत सम्मान समाज को नहीं मिला । माननीय बिसरा राम यादव जी, जो कि संघ के प्रांत संचालक रहे हैं, पूरा जीवन उन्होंने अपना सेवा संघ को दिया और आज भी दे रहे हैं । समाज की मांग थी कि उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया जाए । पर कोई सुनवाई नहीं हुई । जिस मधुसूदन यादव को सांसद तो बनाया गया था उन्हें अब जिलाध्यक्ष बनाती है । पिछले प्रदेश कार्यकारिणी में मात्र स्वर्गीय हेमचंद यादव जी रहे । उनके निधन के पश्चात किसी दूसरे को सम्मान नहीं दिया गया ।
अभी वर्तमान समय में, विष्णुदेव साय की नई कार्यकारिणी में भी यादव समाज की घोर उपेक्षा हुई । इससे स्पष्ट है, यादव जाति सिर्फ और सिर्फ इनका वोट बैंक बनकर रह गया है । मैं इस नई कार्यकारिणी में यादवों को उपेक्षा की घोर निंदा करता हूं ।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से देवनारायण यादव अंबिकापुर, लल्लन यादव बलरामपुर, तपेश्वर यादव चंद्रदेव यादव जशपुर, रामाशंकर यादव, राजेश यादव सूरजपुर, सुभाष यादव, रेवा यादव कोरिया, पंचराम यादव, गांधी यादव रायगढ़, केबी यादव, लक्ष्मी यादव जांजगीर, देवेंद्र यादव, मनीष यादव दिनेश सरिया बिलासपुर, धनीराम यादव, रामकुमार यादव मुंगेली, राकेश यादव, रामकुमार यादव कबीरधाम, हेमकांत यादव, सूरज यादव बेमेतरा, सुरेश यदु, पीआर यदु, विजय यादव बलोदा बाजार, अशोक यादव, सुरेश यादव रायपुर, रथ राम यादव, रामखेलावन यादव महासमुंद, केनू राम यादव, सुशील यादव गरियाबंद, घनश्याम यादव, कोमल यादव धमतरी ,जितेंद्र यादव बालोद, मनोज यादव, राजेंद्र यादव दुर्ग, अशोक यादव, महेश यादव राजनांदगांव, लतेल यादव, सुदामा यादव कांकेर, अशोक यादव, पंकज यादव नारायणपुर, तीरथ यादव, सोनाराम यादव कोंडागांव, संतोष यादव, सरोज यादव बस्तर, पीलू राम यादव सुकमा जिला, रहमान यादव, विष्णु यादव दंतेवाड़ा, तीरथ यादव, सुरेश यादव बीजापुर, दुर्गेश यादव, राजू यादव गौरेला पेंड्रा मरवाही, इत्यादि अनेक यादव समाज के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने भारी आक्रोश जताते हुए कहा है कि अब यादव समाज को सोचना होगा कि कौन सा दल उनका हितैषी है और कौन उन्हें उपयोग कर रहा है ।
ये तय है कि अगले चुनावों में यादव निर्णायक भूमिका निभाएंगे ।