रायपुर 28 दिसम्बर 2019/ छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग द्वारा कटघोरा वन परिक्षेत्र के कुल्हरिया के एक दलदली क्षेत्र में फसी मादा हाथी की मृत्यु की घटना को गंभीरता से लेते हुए कटघोरा वन परिक्षेत्र के प्रभारी वन मंडलाधिकारी श्री डी.डी.संत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है ।
वहीं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) नवा रायपुर श्री अतुल कुमार शुक्ला (भा.व.से.) और मुख्य वन संरक्षक वन मंडल (वन्यप्राणी) बिलासपुर श्री पी.के. केशर (भा.व.से.) को इस प्रकरण में कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है ।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कटघोरा वन परिक्षेत्र के श्री डी.डी.संत केे द्वारा कुल्हरिया गांव में कीचड़ में फसी मादा हाथी को बचाने में कोई प्रयास नहीं किए जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई । इसे शासन ने गंभीरता से लेते हुए उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम-1965 के नियम-3 के उल्लंघन का दोषी मानते हुए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम-1966 के तहत उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है ।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) नवा रायपुर श्री अतुल कुमार शुक्ला (भा.व.से.) और मुख्य वन संरक्षक वन मंडल (वन्यप्राणी) बिलासपुर श्री पी.के. केशर (भा.व.से.) को उक्त घटना के लिए शासकीय कार्य के प्रति उदासीनता तथा लापरवाही बरतने के लिए अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम-1968 के नियम-3 का उल्लंघन मानते हुए कारण बताओं नोटिस जारी किया गया है । उन्हें सात दिन के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है ।
ज्ञात हो कि कटघोरा वन परिक्षेत्र के कुल्हरिया गांव के डूबान क्षेत्र में एक मादा हाथी पिछले 38 घंटे से ज्यादा समय तक दलदल से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रही थी ।
वन विभाग का अमला, इतना समय निकल जाने के बावजूद उसका रेस्क्यू करने में पूरी तरह से नाकाम रहा । मादा हाथी की मौत से छत्तीसगढ़ के वन विभाग के ऊपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं । सवाल यह उठता कि क्या वन विभाग के पास ऐसी परिस्थितियों से निपटने के कोई योजना नहीं है ?
राज्य में इतना बड़ा बजट मिलने के बाद भी क्या उसके पास संसाधनों की कमी है। वह भी उन परिस्थितियों में जब राज्य हाथी प्रभावित रहा है, जहां हाथियों को लेकर एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है ।
हाथी के आम-दरफ्त को देखते ही करोड़ों का प्रोजेक्ट लेमरु हाथी कॉरीडोर बनाया जा रहा है। वहां पर एक हाथी 38 घंटे से ज्यादा समय तक फंसे रहती है । क्या वन विभाग के अफसर उसे डॉक्टरी सहायता भी उपलब्ध नहीं करा पाए ? आखिर क्या वजह थी जो वन अमला नाकाम रहा या फिर हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा ?