रायपुर/21 अक्टूबर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिस सरलता और सौम्यता से प्रदेश में कार्य कर रहे हैं उससे जहाँ जनता तो प्रभावित है ही, वहीं उनकी सरल छवि ने अलग पहचान बनाई है । जनता में उनकी स्नेहिल पकड़ ने आज छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को भी सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया ।
आज लोग हैरान हो कर रमनसिंह की whatsapp की उस तसवीर को देख रहे हैं और अचंभित हैं कि कैसे, एक समय हवा में उड़ने वाले मुख्यमंत्री सड़क किनारे खड़े होकर एक सीताफल बेचने वाली से मोलभाव कर सीताफल खरीद रहे हैं ।
भूपेश बघेल ने बहुत छोटे समय मे ही छत्तीसगढ़ की परपम्परा को पुनर्जीवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । मुख्यमंत्री निवास पर होली, तीजा-पोरा के त्यौहार आयोजित करने के अलावा “नरवा, गरुआ, घुरुवा, बाड़ी, छत्तीसगढ़ के चार चिन्हरी” का नारा दिया और प्रदेश की जनता का जीवन बदलने मे पूरा प्रशासन झोंक दिया । “गौठान” निर्माण ने, प्रदेश की विलुपत होती जा रही संस्कृति और परंपरा को नया जीवनदान दिया है ।
भूपेश बघेल ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को भी अपनी सहृदयता और स्नेह से मुरीद बना दिया । विपक्षी दल के नेता भी उनके गुणगान करने में नहीं हिचकते हैं । और तो और, उनकी स्वयं की काँग्रेस पार्टी के वो नेता और सदस्य जो कभी उनके नेतृत्व को अस्वीकार कर रहे थे, वो भी आज भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली से न सिर्फ उत्साहित हैं, बल्कि खुश भी हैं ।
उन्होंने किसानों का क़र्ज़ा माफ से लेकर कर्मचारियों को पेंशन, स्थानीय त्योहारों मे सार्वजनिक अवकाश, स्थानीय संस्कृति, परंपरा, बोली और व्यंजन को पुनर्जीवन देना, भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ा रुख और राजनीतिक तथा सामाजिक विकास ने उनकी कसावट और दूरदृष्टि से जहां लोग उनके कल होते जा रहे हैं, वहीं संवेदनशील मुखिया से लोगों की उम्मीदें भी बढ़ती जा रही है ।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री रमनसिंह ने प्रदेश की जनता से बड़ी दूरी बनाई और ब्यूरोक्रेट्स पर ज़्यादा विश्वास जताया । अपने 15 सालों के शासन में रमनसिंह ने जनता को जो भी दिया, वो अपने निजी और पार्टी के स्वार्थ के कारण ही दिया । बड़े सुरक्षा घेरे से घिरे रमन सिंह से लोगों का मोह भंग होता गया जिसके कारण उनकी पार्टी को इतनी शर्मनाक पराजय मिली ।
डॉ. रमनसिंह का चेहरा, अंतागढ़ चुनाव में की गई डील से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को कमिशनखोरी रोकने की अपील, और उनके संरक्षण में प्रदेश सरकार में भारी पैमाने पर किये जा रहे घोटालों पर आँखें बंद कर शय देने से लोगों में भारी आक्रोश पनपा । जिसका नतीजा यह रहा कि उन्हें सड़क पर उतर कर सीताफल खरीदने जैसा दिखावा करना पड़ रहा है । अब समझ में आ रहा है कि भूपेश की तरह उन्हें भी सहज सरल और आम आदमी की तरह रहना चाहिए था, जो वो नहीं रह सके ।