ग्वालियर, 14 नवंबर 2020, 14.05 hrs : कई बार जो सच सामने से दिखता है, उसके पीछे की सच्चाई कुछ और होती है । पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं रहते हैं । यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, सच्चाई है ।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जहां अपनी गाड़ी से जा रहे एक डीएसपी ने ठंड से ठिठुर रहे एक भिखारी को देखा तो गाड़ी रोक उसके पास पहुंच गए । अवाक DSP ने पाया कि सामने वाला भिखारी भिखारी नहीं, बल्कि उनके ही बैच का ही एक ऑफिसर है ।
जानकारी के मुताबिक ग्वालियर उपचुनाव की मतगणना के बाद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से निकल रहे थे । जैसे ही दोनों बंधन वाटिका के फुटपाथ से होकर गुजरे, तो सड़क किनारे एक अधेड़ उम्र के भिखारी को ठंड से ठिठुरता हुए देखा । गाड़ी रोककर दोनों अफसर भिखारी के पास गए और मदद की कोशिश । रत्नेश ने अपने जूते और डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट उसे दे दी । इसके बाद जब दोनों ने उस भिखारी से बातचीत शुरू की, तो दोनों हतप्रभ रह गए । वह भिखारी डीएसपी के बैच का ही एक ऑफिसर निकला ।
10 साल पहले हो गये थे लापता :
दरअसल भिखारी के रूप में पिछले 10 सालों से लावारिस हालात में घूम रहे मनीष मिश्रा, कभी पुलिस अफसर थे और एक अचूक निशानेबाज भी थे । मनीष 1999 में पुलिस की नौकरी जॉइन की थी जिसके बाद एमपी के विभिन्न थानों में थानेदार के रूप में पदस्थ रहे । उन्होंने 2005 तक पुलिस की नौकरी की । अंतिम बार में दतिया में बतौर थानाप्रभारी पोस्टेड थे । लेकिन धीरे-धीरे उनकी मानसिक स्थिति खराब होती चली गई । घरवाले उनसे परेशान होने लगे । इलाज के लिए उनको यहां-वहां ले जाया गया, लेकिन एक दिन वह परिवारवालों की नजरों से बचकर भाग गये ।
काफी खोजबीन के बाद परिवार को भी नहीं पता चल पाया कि मनीष कहां चले गए जिसके बाद उनकी पत्नी भी उन्हें छोड़कर चली गई । बाद में पत्नी ने तलाक ले लिया । इधर धीरे-धीरे मनीष भीख मांगने लगे और भीख मांगते-मांगते करीब दस साल गुजर गए.
दोनों डीएसपी साथियों ने बताया कि मनीष उनके साथ साल 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर भर्ती हुए थे । उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि मनीष एक दिन इस हाल में उन्हें मिलेंगे ।
डीएसपी दोस्तों ने शुरू कराया इलाज :
दोनों मनीष से काफी देर तक पुराने दिनों की बात करने की कोशिश की और अपने साथ ले जाने की जिद भी की । लेकिन मनीष साथ जाने को राजी नहीं हुए । इसके बाद दोनों अधिकारियों ने मनीष को एक समाजसेवी संस्था में भिजवाया । वहां मनीष की देखभाल शुरू हो गई है ।
बतौर डीएसपी मनीष के भाई भी थानेदार हैं और पिता और चाचा एसएसपी के पद से रिटायर हुए हैं । उनकी एक बहन किसी दूतावास में अच्छे पद पर हैं । मनीष की पत्नी, जिसका उनसे तलाक हो गया, वह भी न्यायिक विभाग में पदस्थ हैं । फिलहाल मनीष के इन दोनों दोस्तों ने उसका इलाज फिर से शुरू करा दिया है ।