पटना, 20 अक्टूबर 2020, 17.55 hrs : बिहार आदिकाल से ही बड़ी राजनीतिक सोच से सराबोर है । यहाँ के बच्चे से लेकर बड़े तक, अनपढ़-पढ़े लिखे, सभी को राजनीति में महारत हासिल है । इसके बावजूद इस प्रदेश में ग़रीबी, अशिक्षा, जातिवाद और हिंसा चरम पर जारी है ।
राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने इस प्रदेश की संस्कृति को बचाने और बढ़ाने के बजाय अपने परिवार को ही स्थापित करने का प्रयास किया है, जो सतत जारी है ।
बिहार की राजनीति में स्वतंत्रता के बाद कर्पूरी ठाकुर, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, लाडली मोहन निगम, मधु लिमये जैसे खाँटी, धुरंधर नेताओं के बाद उनके समर्थक लालू, शरद यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार से देश-प्रदेश को बहुत उम्मीदें थीं । किन्तु ये सब भी वर्तमान राजनीतिक परिवेश में घुलमिल गए । इनके अलावा कुछ और भी अपनी उपस्थिति बनाये रहते हैं ।
अब तो, अपने उम्र के इस पड़ाव पर, अपने उत्तराधिकारियों को स्थापित करने की जद्दोजहद में लगे हैं लालू प्रसाद, शरद यादव, रामविलास पासवान, शत्रुघ्न सिन्हा और नीतीश कुमार । कौन हैं इन नेताओं के उत्तराधिकारी जो बिहार की राजनीति में अपने पैर जमाने की कोशिश में हैं ।
लालू यादव के बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप :
लम्बे समय से जेल में बंद, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव एक ज़माने में ना सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश के नेता रह चुके हैं । अब राजनीतिक वनवास झेल रहे लालू यादव ने अपनी पत्नी, बेटी के बाद अब दोनों बेटों को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपी है ।
हसनपुर से विधानसभा चुनाव लड़ रहे लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है । चुनावी हलफनामे के मुताबिक तेज प्रताप यादव सिर्फ 12वीं पास हैं । हालांकि नीतीश कुमार की गठबंधन सरकार में तेज प्रताप यादव स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल चुके हैं । उसी तरह, लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक वारिस तेजस्वी यादव सिर्फ 9वीं पास हैं। वर्ष 2015 में पहली बार चुनाव जीत कर वो सीधे बिहार के उपमुख्यमंत्री बने । किंतु इस 2020 के चुनाव में नितीश कुमार को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ तेजस्वी, बिहार में युवाओं के चहेते बन कर उभर रहे हैं ।
चिराग पासवान :
सुदर्शन, उच्च शिक्षा प्राप्त, कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की है । इसके अलावा चिराग पासवान ने फैशन डिजाइनिंग भी किया है । राजनीति में आने से पहले चिराग ने मॉडलिंग और फिल्मों में किस्मत आजमाने के बाद चिराग पासवान ने अपने स्व. पिता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को सम्हालने का बीड़ा उठा लिया है । चिराग को अपने पिता की तरह राजनीतिक पकड़ का सहारा मिलता है या वो खुद अपने दम पर कितना पैर जमा पाते हैं ये इस वर्ष 2020 के चुनाव में तय हो जाएगा ।
लव सिन्हा :
फ़िल्मी दुनिया के प्रसिद्ध नायक और बाद में राजनीति की चरम पर पहुँचने वाले शत्रुघ्न सिन्हा इस बार अपने बेटे लव को अपनी विरासत सौंपने की तैयारी कर रहे हैं । राजनीति में बिलकुल नए अनुभव और सोच के साथ लव सिन्हा इस चुनाव में काँग्रेस से टिकट पा कर बांकीपुर सीट से किस्मत आजमाते हुए राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं ।
सुभाषिनी राव : एमबीए करने के बाद सुभाषिनी यादव अपने पिता शरद यादव के संसदीय क्षेत्र रहे मधेपुरा इलाके की बिहारीगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रही हैं । <span;>इस सीट पर पिछले दो चुनाव से जेडीयू का कब्जा है, लेकिन सुभाषिनी यादव के उतरने से यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है । अस्वस्थ शरद यादव अपनी बेटी की इस पहली राजनीतिक पारी में मार्गदर्शन और सहयोग देने में पूरी तरह से असमर्थ हैं ।
निशांत कुमार : राजनीति और लाइमलाइट से दूर रहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। निशांत कुमार का राजनीति के बजाय आध्यात्म की तरफ ज्यादा रुझान है ।
इस तरह से बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के लिए चुनौती बने हैं आरजेडी के तेजस्वी, लोकजनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान और काँग्रेस से सुभाषिनी राव जिनमे तेजस्वी यादव सबसे बड़ी चुनौती देते प्रतीत हो रहे हैं । पता चल रहा है कि तेजस्वी यादव, नीतीश को सत्ता से बेदख़ल करने के लिए चिराग पासवान के समर्थन में उतर आए हैं ।