इंदौर, 13 अक्टूबर, 11.45 hrs : इंदौर आईआईएम के डायरेक्टर डॉ. हिमांशु राय बताते हैं कि जैसे जैसे मनुष्य के विकास की गति तेज हो रही है उसी रफ्तार से विभिन्न कारणों से तनाव के गिरफ्त में भी वह आता जा रहा है । इसके मानसिक शारीरिक, काफी दुष्परिणाम भी सामने आते जा रहे हैं । कई बार इसके दुष्प्रभाव इतने घातक होते हैं कि मनुष्य का विकास ही रूक जाता है और परिणाम के रूप में उसे तबाही और कई बार मृत्यु तक का सामना करना पड़ता है ।
तनाव बनने के पीछे कई कारण होते हैं जिनका उचित समायोजन कर न केवल इसके दुष्परिणाम से बचा जा सकता है बल्कि इसके कई बार मनुष्य अपने हित में कर सकता है । इसी संदर्भ में आईआईएम इंदौर के डॉयरेक्टर हिमांशु राय ने छात्रों को संबोधित करते हुए एक एक्सपर्ट के तौर पर स्ट्रेस मैनेंजमेंट हेतु एक व्याख्यान दिया ।
हिमांशु कहते हैं कि तनाव को समझने के लिए सर्वप्रथम उसके लक्ष्णों को समझना पड़ता है जैसे कि पूरी तरीके से नींद नहीं आना, जल्दी थक जाना, कमर में दर्द रहना, सिरदर्द आना ईत्यादि । वहीं इसके मानसिक लक्ष्ण – किसी भी कार्य पर खुद को फोकस नहीं रख पाना, ध्यान केंद्रित नहीं रख पाना, जो निर्णय लेते हैं उसमें काफी अधिक मात्रा में त्रुटियां होना ईत्यादि ।
प्रो. हिमांशु बताते हैं तनाव के स्रोत या उसके बचाव के उपाय जानने से पहले उससें संबंधित जो मिथक है उसे जानना काफी आवश्यक है । आम धारणा है कि सभी प्रकार के तनाव हानिकारक होते हैं पर यह सत्य नहीं है । मनुष्य को आगे बढ़ने के लिए कुछ तनाव अच्छे और आवश्यक भी होते हैं । इस प्रकार के तनाव को Eustress कहा जाता है और यह काफी धनात्मक होता है । यह मनुष्यों में रोमांच जगाता है – जैसे कि कुछ आगे कर गुजरने की चाहत, बेहतर करने की सोच, घर में किसी बच्चे का आना, नए सफर पर निकलना आदि । तनाव और व्यक्ति के परफोर्मेंस के संबंध को inverted U shape से समझा जा सकता है । जैसे की आप पर तनाव बढ़ेगा आप उसमें अच्छा करते जाएंगें लेकिन जैसे की यह एक निश्चित बिंदु से आगे बढ़ेगा वैसे ही व्यक्ति का पर्फार्मेंस घटने लगता है और यह एक व्यक्ति के लिए कई बार घातक भी हो जाता है ।
दूसरा, कई बार व्यक्ति यह सोचता है कि उसे अगर तनाव है तो उसे कुछ नहीं होगा और उसे अपने मन में वह लंबें समय तक ढ़ोता रहता है । ऐसा करना कई बार घातक होता है क्योंकि एक सीमा से अधिक तनाव के नकारात्मक प्रभाव पड़ते ही हैं । कई बार अचानक से लोगों को हार्ट-अटैक आना, बीमार पड़ जाना इसके लक्ष्ण हैं । अतः तनाव होने पर बजाए खुद के मन पर बोझ बना के रखने के उसे किसी ऐसे व्यक्ति के साथ साझा कर लेना चाहिए जिस पर आप भरोसा कर सकें ।
तीसरा मिथक है कि लोगों को यह लगता है हरेक व्यक्ति उन्हीं चीजों से तनावग्रस्त होता है जिससे वह तनाव में आता है । ऐसा नहीं है इस दुनियां में प्रत्येक व्यक्ति भिन्न हैं और जरूरी नहीं है कि जिससे वह व्यक्ति तनाव में जाता है उसी चिज से अन्य भी जाएं ।
प्रो. हिमांशु से बताते हैं कि तनाव से लड़ना अपने आपमें एक कठिन चुनौति होती है । लेकिन उचित प्रबंधन कर इससे लड़ा जा सकता है । वे तनाव का मुख्य कारक FIRE को मानते हैं । F : फीयर यानि की भय से तनाव उत्पन्न होता है । हम धन को लेकर चिंतित रहते हैं । पता नहीं नौकरी रहेगी की नहीं, इतना ही पैसा है सामने वाले के पास काफी अधिक पैसा है…ईत्यादी । धन मात्र एक साधन है । आप साधना क्या चाहते हैं इस पर निर्भर करता है महात्मा गांधी ने कहा था कि इस पृथ्वी पर सबके लिए आवश्यकता पर पूर्ति हेतु धन एवं संसाधन है लेकिन लोभ के लिए अपर्याप्त है । अतः धन के लिए चिंतित न रहे इसे हासिल किया जा सकता है । दूसरी चिंता रहती है असफलता का भय ।
तो सफलता एवं असफलता सिक्के दो पहलू हैं बस कर्म करते रहीए अपने शिल्प एवं कौशल को निखारते रहीए तो यह भय दूर जाता रहेगा । दूसरी बात कि अगर व्यक्ति 10 निर्णय लेगा तो कुछ गल्तियां होंगी ही । इसका यह मतलब नहीं है कि व्यक्ति निर्णय लेने बंद कर दें । घटनाओं से व्यक्ति तनाव में आता है । तो घटनाओं के घटित होने से व्यक्ति नहीं रोक सकता है । अतः व्यक्ति को सोचना चाहिए कि वह क्या कर सकता है जो उसके हाथ में नहीं है उस पर नहीं सोचना चाहिए । व्यक्ति को वर्तमान में रहना चाहिए ।
तनाव का एक महत्वपूर्ण कारण I यानि की inaction होता है । मसलन जो चिज आप कर सकते हैं उसकों प्राथमिकता के आधार पर नहीं करना। अगर ऐसा है तो उसकी प्राथमिकता तय किजीए और कार्य को पूर्ण कर लिजीए। इसके लिए एक डायरी बनाना अति आवश्यक है जिसमें लिखा जाना चाहिए क्यूं, कब कैसे और किन कारनों से आपको तनाव आया और उसको सुलझाने के लिए आपने क्या किया ।
तीसरा R यानि की relation के कारण आता है । कई बार संबंधों के कारण दूसरों की गल्ती को अपने सिर लेने की आदत । लगातार लोगों के अपेक्षा पर खरे उतरने की चाहत। परिवार एंव रिस्तेदारों के बातों में आना । इससे बचना चाहिए । व्यक्ति को वही करना चाहिए जो उसे ठीक लगे और विधि सम्मत हो न की दूसरों को खुश रखने के लिए । क्योंकि व्यक्ति खुद खुश नहीं है तो वह दूसरों को खुश नहीं रख सकता । व्यक्ति वही दूसरों को दे सकता है जो उसके पास है ।
चौथा मुख्य कारण तनाव का E यानि कि envy ईर्ष्या के कारण होता है । इस पर लोगों को ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे व्यक्ति का खुद का नुकसान ज्यादा होता है ।