मरीज के इलाज पर अभी तक 6/6.50 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं । उसे और कुछ दिन और भर्ती करना पड़ेगा …
रायपुर, 22 सितंबर 2020, 17.25 hrs : राजधानी के प्रतिष्ठित रामकृष्ण केयर अस्पताल ने एक कोरोना मरीज के इलाज के लिये 10 लाख रुपये का अनुमानित बिल दिया गया है ।
वैसे, राज्य सरकार ने वेंटिलेटर वाले गंभीर मरीजों के लिए निजी अस्पताल का एक दिन बिल प्रति मरीज 17 हजार रुपये तय किया हुआ है । बिल में मरीज की भर्ती 10 सितम्बर दिखलाई गई है तथा 19 सितम्बर को यह अनुमानित बिल बनाया गया है । मरीज का नाम आशीष सोनी अंकित है तथा उसे रायपुर अमलीडीह निवासी बताया गया है ।
इस संबंध मे अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि 17 हजार रुपये में इलाज कर पाना उनके लिए संभव नहीं है । यह बिल अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है । इस बिल में 10 दिन का अनुमानित खर्च बताया जा रहा है । बिल में संबंधित मरीज को कोविड 19 का गंभीर मरीज बताया गया है । अनुमानित बिल में दवा का खर्च 4 लाख 50 हजार रुपये दिखाया गया है।
रामकृष्ण केयर अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप दवे ने भी स्वीकार किया कि वायरल अनुमानित बिल उन्हीं के अस्पताल का है । उन्होंने अपनी सफाई में यह भी कहा कि मरीज उनके अस्पताल में भर्ती है । चूंकि मरीज गंभीर था, इसलिए कहा नहीं जा सकता था उसे कितने दिन अस्पताल में भर्ती रखना पड़ेगा । इसलिए उक्त रकम का अनुमानित बिल दिया गया ।
बिल में कहीं भी दिनों का उल्लेख नहीं है । मरीज के इलाज पर अभी 6-6.50 लाख रुपये खर्च हो गए हैं । वैसे मरीज की हालत में सुधार हो रहा है । उन्होंने यह भी कहा कि यह एस्टिमेट बिल उन्होंने मरीज द्वारा मांगे जाने पर ही दिया है । रामकृष्ण केयर हास्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे से यह पूछे जाने पर कि जब सरकार ने वेंटिलेटर वाले कोरोना मरीजों के लिए प्रतिदिन का चार्ज सिर्फ 17 हजार रुपये तय किया गया है तो इतना बिल कैसे हो सकता है।
इस पर डॉ. दवे ने कहा कि सरकार के आदेश में डॉक्टर की फीस, पीपीई किट आदि तमाम खर्च समाहित नहीं है । आदेश स्पष्ट नहीं है । यदि सरकार हर दिन का 17 हजार रुपये ही लेने को कहे तो हमारे लिए कोविड मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो जाएगा । अस्पताल का स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है । उनका खर्च भी हमे ही वहन करना है ।
सोचनीय है कि जब राज्य सरकार ने पहले ही कोरोना के गंभीर मरीज के इलाज के लिए प्रतिदिन का अधिकतम 17 हजार रुपये का शुल्क निर्धारित किया हुआ है तो निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों से इस तरह मनमानी शुल्क वसूलना बहुत ही निंदनीय है । राज्य सरकार द्वारा विशेषज्ञों व अस्पतालों के प्रतिनिधियों से रायशुमारी करने के बाद ही तय किया है ।