इस कोरोना संकट में भी आवश्यक सेवाओं को रोक कर हड़ताल और अपने काम पर अनुपस्थित रहने पर उन्हें शासन-प्रशासन द्वारा बार बार समझाईश देने के बावजूद कर्मचारी अपनी मांग पर अड़े हुए थे ।
अधिकारी-कर्मचारी द्वारा समय सीमा में उपस्थित नहीं होने पर छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग (शासकीय कर्मचारी कल्याण शाखा) के प्रावधानों के अनुसार उक्त प्रकार के कृत्य आयोजित हड़ताल धरना तथा सामूहिक अवकाश आदि छ.ग. सिविल सेवा आचारण नियम 1965 के अनुसार कदाचरण की श्रेणी में आता है एवं राज्य में छत्तीसगढ़. अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विछिन्नता निवारण अधिनियम 1979 लागू किया गया हैं । जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं में काम करने से इन्कार किये जाने को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है ।
एस्मा अधिनियम का उल्लंघन करने पर स्थिति में दण्डात्मक कार्यवाही का प्रावधान के तहत और उक्त कृत्य के लिये सिविल सेवा आचरण नियंत्रण 1966 के प्रावधानों के तहत उक्त कर्मचारियों को शासकीय सेवा से तत्काल प्रभाव से सेवा से पृथक किया गया है ।
सेवा से निकाले गए कर्मचारियों में विकासखण्ड कार्यक्रम प्रबंधक जगदलपुर संतोष सिंह, विकासखण्ड कार्यक्रम प्रबंधक बास्तानार राजेन्द्र नेताम, विकासखण्ड कार्यक्रम प्रबंधक तोकापाल प्रवीण निगम, विकासखण्ड कार्यक्रम प्रबंधक बकावंड राजेन्द्र बघेल, दरभा ब्लाक लेखा प्रबंधक मोहम्मद सिराजुद्धीन, तोकापाल बीडीएम प्रेम कुमार गुप्ता, प्रा.स्वा.केन्द्र, रोतमा आरएमए अमन कुमार वर्मा, सीएचओ उप.स्वा. केन्द्र परपा असीम मसीह, बड़े किलेपाल ए.एम.ओ. डॉ. डीके चर्तुवेदी, प्रा. स्वा. केन्द्र करपावंड पीएडीए जितेश जोशी है ।