मा ब्रम्हचारिणी :
देवी भगवती का दूसरा स्वरूप है माँ ब्रम्हचारिणी का । दूसरे नवरात्र को ब्रम्हचारिणी माँ की पूजा की जाती है ।
ब्रम्हाण्ड को जन्म देने के कारण ही देवी का दूसरा स्वरूप ब्रम्हचारिणी कहलाया । देवी की यही आद्या शक्ति है । यहाँ ब्रम्ह शब्द का रूप तपस्या है । ब्रम्हचारिणी अर्थात तप की चरिणी ।
कथा है कि सृष्टि उत्तपत्ति के समय ब्रम्हाजी ने मानस पुत्रों को जन्म दिया पर वे कालातीत होते रहे । सृष्टि का विकास नहीं हो सका । अचंभित ब्रम्हाजी ने सदाशिव से पूछा कि ऐसा क्यों । शिवजी ने कहा कि देवी शक्ति के बिना ये असम्भव है । सब देवता देवी की शरण में गए । इस पर ब्रम्हचारिणी ने सृष्टि का विस्तार किया है । इसी के बाद से नारी शक्ति को माँ का स्थान मिला है ।