प्राच्य संस्कृत शिक्षकों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न
पूर्व विधायक, महंत डॉ. रामसुन्दर दास ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है।
उन्होंने संस्कृत भाषा को समृद्ध और वैज्ञानिक भाषा कहा है जिसमें हमारे शास्त्रों की रचना हुई है और हमारी समृद्ध विरासत परिलक्षित होती है ।
दूधाधारी मठ के सत्संग भवन में प्राच्य संस्कृत शिक्षकों के पांच दिवसीय प्रशिक्षण समापन अवसर पर महंत रामसुन्दर दास ने अपने विचार व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश आदि कवि महर्षि वाल्मीकी और महाकवि कालीदास जैसे महान रचनाकारों का क्षेत्र रहा है और हमारा छत्तीसगढ़, यहाँ की परम्परा, जीवन शैली में संस्कृत भाषा के ज्ञान का प्रभाव रहा है । उन्होंने कहा कि संस्कृत के प्रचार-प्रसार से हमारे प्रदेश की संस्कृति समृद्ध होगी ।
प्रशिक्षण का उद्घाटन संस्कृत महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रीमती राधा पाण्डेय द्वारा किया गया । 24 से 28 सितंबर तक चले इस प्रशिक्षण शिविर में डॉ. तोयनिधि वैष्णव ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित किया । प्रशिक्षण में डॉ. राघवेन्द्र शर्मा, सहायक प्राध्यापक द्वारा साहित्य धर्म शास्त्र, डॉ. आराधना कण्डे द्वारा आयुर्वेद, डॉ. बहुरन सिंह पटेल द्वारा व्याकरण, श्री ललित शर्मा द्वारा योग दर्शन, प्रधानाचार्य दूधाधारी श्री वैष्णव संस्कृत विद्यालय श्री कृष्ण वल्लभ शर्मा ने प्रवेशिका, डॉ. महेश चन्द्र शर्मा प्राचार्य उतई कॉलेज द्वारा प्रवचनम और डॉ. संतोष तिवारी द्वारा ज्योतिष विषय पर प्रशिक्षण दिया गया ।
शिविर का संयोजन सचिव छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम डॉ. सुरेश कुमार शर्मा और सहायक संचालक श्री लक्ष्मण प्रसाद साहू, व्याख्याता श्रीमती आशारानी चतुर्वेदी ने सह संयोजन ने किया । प्राचार्य दूधाधारी वैष्णव संस्कृत विद्यालय मठपारा श्री कृष्ण वल्लभ शर्मा ने सहयोग दिया ।