भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है । भारत के चहेते राष्ट्रपतियों में शुमार 84 साल के प्रणब मुखर्जी दिल्ली में आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल में भर्ती थे । उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी, जिसके बाद उनकी हालत नाजुक होने के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था । उनके ब्रेन में एक थक्का (Clot) बन गया था, जिसको निकालने के लिए ऑपरेशन किया गया था । आर्मी अस्पताल की ओर से जानकारी दी गई थी 10 अगस्त को पूर्व राष्ट्रपति की सर्जरी हुई थी, लेकिन उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं दिख रहा था । इसके साथ ही उनको कोरोनावायरस का संक्रमण भी था ।
भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के जाने पर पूरे देश में शोक की लहर है । नेताओं से लेकर आम जनता उन्हें श्रद्धांजलि दे रही है । राष्ट्रपति को महामहिम कहे जाने की रीति से ऐतराज करने वाले प्रणब मुखर्जी 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति थे । उनका राजनीतिक जीवन 40 सालों से भी ज्यादा लंबा रहा है । कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उन्होंने विदेश से लेकर रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्री तक की भूमिका निभाई । उन्होंने भारतीय राजनीति को बहुत लंबे समय तक, बहुत करीब से देखा, हम एक बार उनकी निजी जिंदगी और राजनीतिक करियर पर नजर डाल रहे हैं ।
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर, 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक छोटे से गांव मिराती के एक साधारण से परिवार में हुआ था । उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी मां का नाम राजलक्ष्मी था । प्रणब मुखर्जी के पिता भी कांग्रेसी नेता थे और आजादी की लड़ाई में कई बार जेल गए ।
प्रणब मुखर्जी ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की । उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी इतिहास और राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएशन किया था और लॉ की पढ़ाई भी की थी । उन्होंने सबसे पहले बतौर कॉलेज टीचर अपना करियर शुरू किया लेकिन नेता पिता की संतान होने के चलते वो राजनीति से दूर नहीं रहे और 1969 में चुनकर राज्यसभा में आ गए । इस तरह उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई ।
उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मार्गदर्शन में काम किया ।। 1973-74 में उन्हें उद्योग, जहाजरानी व परिवहन से लेकर इस्पात व उद्योग उपमंत्री और वित्त राज्यमंत्री बनाया गया ।
1982 में प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी के कैबिनेट में वित्तमंत्री बने । इसके बाद 2012 तक कांग्रेस में रहने के दौरान कांग्रेस की सरकारों के कार्यकालों में उन्होंने वाणिज्य मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री जैसी अहम भूमिकाएं निभाईं । वो दो बार विदेश मंत्री बने- 1995 से 1996 तक फिर 2006 से 2009 तक । मुखर्जी 1991 से 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे ।
2012 में उन्होंने 25 जुलाई को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और 2017 तक देश के राष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवा देते रहे । संवैधानिक नियम के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था ।
पूर्व राष्ट्रपति ने कूटनीतिक स्तर पर भी अहम भूमिकाएं निभाईं । मुखर्जी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अफ्रीकी विकास बैंकों के संचालक मंडलों में रहे । उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा से लेकर गुटनिरपेक्ष विदेश मंत्रियों के सम्मेलन सहित कई सम्मेलनों में भारत का नेतृत्व किया ।