रायपुर, 15 अगस्त 2020, 11.55 hrs : कोरोना और लॉकडाउन से पूरा विश्व परेशान है । छोटे, स्कूली बच्चों की शिक्षा पर भी इसका बहुत बड़ा असर पड़ा है । जानकारी मिली है कि 6 महीनों से बंद स्कूल को सरकार फिर से खोलने की तैयारी कर रही है ।
सरकार ने 1 सितंबर से स्कूल खोलने को लेकर काम शुरू कर दिया है । अमेरिका में स्कूल खोलने से पहले एक रिपोर्ट आई है कि देश में लगभग 97,000 बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं । इसलिए वहाँ स्कूल खोलने का प्रस्ताव अभी रोक दिया गया है । वहीं भारत में भी स्कूली बच्चों को लेकर सर्वे कार्य किया जा सकता है । ऐसे में सरकार के स्कूल खोलने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं ।
परिजन कर रहे हैं विरोध :
स्कूल खोलने की जानकारी मिलने से छात्रों के परिजनों ने विरोध शुरू कर दिया है । गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन ने स्कूल खोलने के विरोध में ट्वीट कर लिखा है, ‘क्या सरकार द्वारा देश मे कोरोना के बढ़ते संक्रमण की अनदेखी कर सितंबर में स्कूल खोलने पर विचार करना जल्दबाजी नहीं ? क्या सरकार और निजी स्कूल हमारे बच्चों के जीवन की सुरक्षा की गारंटी लेगे ?’
क्या पेरेंट्स, कोरोना के दौर में बच्चों को स्कूल भेजने का खतरा उठायेंगे ?
सोचने वाली बात है कि कौन माता पिता अपने अबोध बच्चों को इस खतरनाक संक्रमण के दौर में स्कूल भेजेंगे ! जब बड़े और समझदार लोग ही बचाव के उपायों की अनदेखी कर रहे हैं तो स्कूल के छोटे बच्चे और कॉलेज के युवा इस संक्रमण की गम्भीरता कैसे समझेंगे । स्कूल-कॉलेज खोलने मतलब, उनके जीवन से खिलवाड़ करना होगा ।
कोरोना का ख़तरा, नेताओं-अधिकारी सहमे :
नेता-अधिकारी ख़तरे को भांपते हुए घर और ऑफिस में लोगों से मिल नहीं रहे हैं । आफिस या तो बन्द से हैं या 30 प्रतिशत कर्मचारियों से ही काम चलाया जा रहा है । फ़िर बच्चों पर ये कहर क्यों ढाया जाएगा ?
कोरोना सबसे अधिक असर :
देश में कोरोना के संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 15 लाख हो गई है। अब तक 22 लाख से अधिक कोरोना केस मिल चुके हैं। देश के 10 राज्यों में कोरोना का कहर सबसे अधिक है । इन राज्यों में ही कुल मामलों का 80 फीसदी मामले हैं ।