प्रोफेसर पीड़ी खेड़ा वो व्यक्तित्व थे जो दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापकी से सेवानिवृत्त होकर 30 साल पहले छत्तीसगढ़ के ग्राम लमनी के बैगा आदिवासियों के बीच आ कर रहने लगे। बैगा बच्चों, पुरुषों और महिलाओं को दवाइयां, खाद्य सामग्री वगैरह बाटते और खुद संजीदगी और सादगी भरा जीवन जीते थे ।
गाँधी जी की विचारधारा से प्रभावित श्री खेड़ा अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में आदिवासियों के लिए समर्पित कर दिया था ।
पिछले कुछ दिनों से प्रो. खेड़ा अस्वस्थ होने के कारण बिलासपुर हॉस्पिटल में भर्ती थे । उनके निधन पर मुख्यमंत्री भुपेश बघेल ने अपनी सम्वेदनाएँ व्यक्त की है ।