नई दिल्ली, 28 मई 2020, 19.35 hrs : सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि प्रवासियों को घर भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है ।पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों को जल्द दें सारी सुविधाएं ।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते, देश में लॉकडाउन है । लॉक डाउन के कारण से देश में रह रहे सभी प्रवासी मजदूरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । लॉकडाउन के पहले चरण से लेकर हाल तक दिल्ली, मुंबई जैसा महानगरों से प्रवासियों के पैदल घर वापसी की तस्वीरें सामने आती रही है ।
इसके अलावा, घर लौटने के दौरान अनेक मजदूरों की विभिन्न दुर्घटनाओं में जान भी चली गई । कुछ दिनों पहले रेल की पटरी पर सो रहे मजदूरों की ट्रेन से कटने से मौत हो गई । इस दर्दनाक घटना ने देश को झकझोर दिया था ।
देश के अनेक हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों की दयनीय हालत और उनकी समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को स्वत: संज्ञान लिया था । जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह ने केन्द्र, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजते हुए 28 मई तक जवाब देने के लिए कहा था । कोर्ट ने पूछा था कि उनकी स्थिति में सुधार के लिए आखिर क्या कदम उठाए गए हैं ।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘पैदल चल रहे मजदूरों को जल्द आश्रय स्थल पर ले जाएं और उन्हें सारी सुविधाएं दें ।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें इस बात की चिंता है कि प्रवासी मजदूरों को घर वापस जाने के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हमने नोटिस किया है कि रजिस्ट्रेशन की प्रकिया, ट्रांसपोटेशन के साथ-साथ उनके खाने-पीने के इंतजाम में काफी खामियां हैं । साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है ।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई 28 मई तय की थी । इस मामले पर आज सुनवाई जारी है। इस दौरान केंद्र ने कोर्ट से कहा कि अभी तक 91 लाख प्रवासियों को उनके घर भेजा जा चुका है । इनमें से 80 प्रतिशत के करीब बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं ।
प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए रेलवे लगातार ट्रेनें चला रही है । अभी तक लगभग 50 लाख मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाया गया है । इसके साथ सरकार ने कहा कि उसने लाखों मजदूरों के खाते में पैसे भी भेजे हैं ।