आर्थिक परिस्थितियों के चलते देश के रईस पलायन कर रहे हैं जो भयानक त्रासदी दायक है ।
एक अनूठा सच सामने आ रहा है कि अब इस देश से मजदूर नहीं, रईस व्यवसायी पलायन कर रहे हैं । अब हमारे देश में कोई इंडस्ट्रियलिस्ट या कॉरपोरेट पैसा नहीं लगाना चाहता है । उसे नहीं पता है कि व्यवसाय का भविष्य क्या होगा ?
इस देश में रिज़र्व बैंक के पैसों का उपयोग कैसे करना है और कैसे स्ट्रक्चरल रिफार्म करना है ये हमारी सरकार को नहीं पता है । सारे रास्ते आज जिस दिशा में ले जा रहे हैं उसकी गूंज को महसूस किया जाना चाहिए ।
हमारे देश मे बीते डेढ़ ढाई साल से लगातार, हर महीने 1 लाख करोड़ से ज्यादा की पूंजी समेटे तमाम रईस भारत से अपना व्यवसाय उठाकर बाहर जा रहे हैं ।
RBI की रिपोर्ट कहती है कि हर महीने 1.69 बिलियन डॉलर याने 1 लाख 14 हज़ार करोड़ रुपया देश से बाहर जा रहा है क्योंकि यहाँ व्यवसाय के अनुकूल स्तिथि नहीं है ।
2014/15 में 1 लाख 32 हज़ार करोड़ से रुपया देश के बाहर गया । वहीं, 2015/16 में तीन गुना बढ़कर 4 लाख 60 हज़ार करोड़ हो गया । वर्ष 2016/17 में यह राशि डबल होकर 8 लाख 17 हज़ार करोड़ हुई जो व्यवसायियों के पलायन से देश के बाहर चली गयी ।
2017/18 में 11 लाख 32 हज़ार करोड़ रुपये व्यवसायी देश के बाहर ले गए । फिर 2018/19 में देश के बाहर गई राशि 13 लाख 78 हज़ार करोड़ हो गई । अब वर्तमान फाइनेंसियल वर्ष के शुरुआती 4 माह में ही इन व्यवसाइयों के माध्यम से 5 लाख 80 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा देश के बाहर जा चुके हैं ।
अंतरराष्ट्रीय तौर पर आंकलन करने पर पता चला है कि जब टैक्स बहुत बढ़ जाता है उससे रईस तबका प्रभावित होता है । सामाजिक तौर पर देखा जाये तो यह सोचनीय है कि क्या देश में ऐसी परिस्तितियाँ बन रही हैं कि हम यहाँ व्यवसाय कर सकते हैं ? या स्तिथि बिगड़ती जा रही है जिसके कारण व्यवसायी देश छोड़कर चला जाता है ।
इसके अलावा, सफल व्यवसाय की तीसरी परिस्थिति होती है, देश मे शान्ति व्यवस्था की जिसका देश में पूरी तरह से अभाव है । ये सारी परिस्तितियाँ दर्शाती हैं कि व्यवसायी अब देश से बाहर जाना ही बेहतर विकल्प मान रहे हैं ।