“यह है मेंकाम्फ़”… चंचल को आज भी याद है… आप भी समझिए…

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17 अगस्त 2025 : बनारस से चंचल द्वारा एक संस्मरण  ।

26 जून का दिन था . सन नहीं याद है . हम जार्ज के घर बैठे काफी पी रहे थे . अचानक जार्ज उठे और बोले चलो चलते हैं . जो लोग जार्ज के नजदीक रहे हैं ,उन्हें यह मालुम है कि जार्ज से यह नहीं पूछा जाता कि कहाँ ? बस चल दीजिए . और हम चल दिये . संघियो ने एक जलसा रखा था २६ जून की याद में उसमे अडवानी मुख्य अतिथि थे और जार्ज अध्यक्ष . अडवानी आपातकाल को याद करते हुए एक बात कही कि हमने हिटलर की मेंकान्फ़ सैकदू बार पढ़ी . वापसी में हमने जार्ज से कहा -अगर आप यह बता दिये होते तो हम आपके साथ नही आते . जार्ज मुस्कुराए और बोले – इसी लिए तो नहीं बताया .

दूसरे दिन हमें बनारस आना था . जहाज में हमारे एक पुराने मित्र जो उस समय भाजपा से सांसद थे, मिल गए . उन्होंने हमसे पूछा यह यह ‘मेंकाम्फ़ ‘ क्या है . हमने कहा यह संघ का ‘बाइबिल ‘ है . और हम दोनों हँसते रहे .

अरसा हुआ . एक हिटलर की आत्मकथा को छाती से चिपकाए अडवानी हिटलर बनने का ख्वाब ही देखते रह गए और दूसरा हिटलर सामने आकर खड़ा हो गया . मेंकाम्फ़ में हिटलर जो कुछ भी बताता है किस तरह उसका बाप उसकी माँ को प्रताडित करता था . किस तरह की जिंदगी उसे जीनी पडी, जस का तस की जिंदगी लेकर यह नया हिटलर चल रहा है . जिस सीधी से चढो उसे पहले खत्म करो . गुजरात से देखिये . संघ में उसको जोशी स्थापित करता है , जोशी को खत्म किया . केशू भाई पटेल का प्रिय बना उन्हें किनारे लगा आया . अडवानी का प्रिय बना . उनकी समूची राजनीति को समाप्त कर दिया . मुरली मनोहर जोशी को झुका कर कदमो में डाल लिया . आज वह गिरोह का एक मात्र अलम्बरदार है . यह है मेंकाम्फ़ . कल यह मुल्क को तबाह कर खुद खुदकुशी कर लेगा इस तरह एक ‘काम ‘ पीड़ित का इतिहास, भारत की सभ्यता का नाश करने चला है लेकिन यह कभी भी पूरा नहीं होगा  .’

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