नगरीय निकाय चुनावों में राजधानी रायपुर सबसे अहम निकाय है । यहाँ 70 वार्ड में 34 काँग्रेस, 29 बीजेपी और 7 निर्दलीय पार्षद जीते हैं । बहुमत के लिए 36 पार्षद चाहिए जिसमें काँग्रेस को 2 पार्षदों की कमी हो रही है ।
इन 7 निर्दलीय पार्षदों में से 2 काँग्रेस के और 5 बीजेपी के बागी हैं । इस लिहाज से काँग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी । बीजेपी के 5 बागी मिलकर भी बहुमत का आंकड़ा छू नहीं पाएंगे इसलिये बीजेपी, काँग्रेस समर्थित 2 बागियों को तोड़ने की साजिश कर सकती है । फिर भी मेयर तो काँग्रेस का बनना ही तय लग रहा है ।
अब मेयर कौन बनेगा ये सबसे बड़ा सवाल है ? काँग्रेस में महापौर पद के 3/4 दावेदार हैं । एक तो खुद वर्तमान महापौर प्रमोद दुबे, दूसरा ऐजाज़ ढेबर, फिर ज्ञानेश शर्मा और श्रीकुमार मेनन । इनमें से सबसे प्रबल दावेदार तो प्रमोद ही है पर लोग एजाज़ ढेबर पर ज़्यादा दाँव लगा रहे हैं । इन चारों का भविष्य अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मारकम के हाथों में है । यहाँ जातीय समीकरण भी सबसे बड़ा रोल निभाएगा ।
वैसे आजकल ढेबर मुख्यमंत्री के ज़्यादा करीबी माना जा रहा है । देखना होगा कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष किसे शहर की चाबी सौंपते हैं ।
बताते चलें कि छत्तीसगढ़ की 10 नगरीय निकाय में 9 पर काँग्रेस का सीधी पकड़ बन रही है पर इनमें निर्दलीयों का साथ भी बहुत ज़रूरी है । सिर्फ़ कोरबा निकाय में काँग्रेस को कठिनाई जा रही है, वहाँ भी मुख्यमंत्री का दावा है कि कांग्रेस का ही महापौर बनेगा । इंतज़ार और सस्पेंस, बहुत जल्द खत्म होगा ।