सरकार बनते ही जोर-शोर से दागियों पर त्वरित कार्यवाहियां करने की बातें हुई, तथा कुछ मामलों में जांच आदेश भी जारी हुआ । ऐसा ही एक मामला भापुसे मुकेश गुप्ता की दूसरी पत्नी डा० मिक्की मेहता की मर्ग जांच की पुन: जांच का था ।
तत्कालीन कड़क व ईमानदार वरिष्ठ जेल महानिदेशक को पूर्व मर्ग जांच की जांच सौंपी गयी, जिसकी जांच में प्रमाणिक रूप से पाया गया कि, पूर्व की मर्ग जांच भापुसे मुकेश गुप्ता के प्रभाव में गलत तरीके से एवं दोषियों को बचाने के उद्देश्य से की गयी थी । पूर्व मर्ग जांच रिपोर्ट की जांच कर वरिष्ठ जांच अधिकारी ने शासन को उन 8-9 अहम बिन्दुओं से अवगत भी कराया था, जो पूर्व जांच में आपराधिक रूप से छोड़ दी गयी थीं ।
शासन ने पूर्व मर्ग जांच की जांच में प्राप्त स्पष्ट रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए डा० मिक्की मेहता मर्ग की पुन: जांच करने का आदेश जारी किया, तथा रायपुर पुलिस को इसकी जवाबदारी सौंपी, जो शुरूवात से ही, राज्य सरकार के एक मंत्री के प्रभाव में आकर, इस पुन: जांच में लीपापोती करने में भिड़ गयी । यहां तक कि, जो तथ्य राज्य पुलिस के आला अधिकारी द्वारा पूर्व में सिद्ध पाते हुए, शासन को अपनी 2006 की अंतरिम रिपोर्ट के माध्यम से प्रेषित की थी, उसे भी, मंत्री जी से दबी हुई, रायपुर पुलिस मानने से इंकार कर रही है ।
अब ये बदनाम जमीन दबाए मंत्री जी, भापुसे मुकेश गुप्ता पर क्यों मेहरबान हैं, इसका उत्तर तो, उनके द्वारा विगत 15 वर्ष विपक्ष में रहते हुए भी, ज़मीन दबाने व विवादित ज़मीन के लगातार छद्दम नाम से क्रय करने में, तथा उसी विपक्षी दौर में, भाई द्वारा प्राप्त अरबों की सप्लाई व ठेकों में छिपा है ।
रायपुर पुलिस के तीन अधिकारियों के ऐसे बेईमान रवैये के कारण आज प्रदेश के बेबाक जमीनी मुखिया तथा उनकी सरकार बेवजह बदनाम हो रहे हैं, जो शायद उन ज़मीन कब्जाऊ मंत्री जी का एक अन्य छिपा हुआ मकसद भी प्रतीत हो रहा है ।
ऐसी परिस्थिति में, इन मंत्री जी व उनके रायपुर पुलिस के उन तीन अधिकारियों को जन-चेतावनी है कि, डा० मिक्की मेहता मर्ग पुन: जांच में लीपापोती करने व करवाने से, तत्काल बाज आएं, अन्यथा जोर का झटका, बड़े जोर से लगेगा । न केवल माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष नामजद बेईमानी की पतलून खुल जाएगी, वरन प्रदेश के पहले बेनामी संपत्ति अधिनियम के मामले का फीता काटने का अवसर भी प्राप्त हो जाएगा ।
हमारी बात पर शक हो, तो इन महानुभावों को यथास्थिति कायम रखने की एक सप्ताह तक खुली छूट है । पर ध्यान रहे कि, इस सप्ताह पश्चात् शासकीय सड़क, शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र, शासकीय भूमि आदि दबाने तथा राजधानी में पुलिसिया वसूली के ऐसे-ऐसे मय साक्ष्य खुलासे होंगें, जो इनके, बड़े से बड़े अंकल भी नहीं रूकवा सकेंगे ।
वैसे भी अंग्रेज़ी में कहावत है कि:-
“Prevention is better than cure.”*
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