महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पिछले 15/20 दिनों से चल रही उठापटक से राजनीति में उफ़ान ला दिया है । राजनीति में उतरने वाले युवाओं के लिए महाराष्ट्र चुनाव बहुत ही अहम मुद्दा बन गया है जिससे वे राजनीति क्या और कैसे की जा सकती है इसका सबक ले सकते हैं, इस पर प्रयोग कर सकते हैं, शोध भी किया जा सकता है ।
देखें क्या हुआ है पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में । विधानसभा चुनाव हुए । किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला । देश के प्रमुख दलों में से बीजेपी 105, शिवसेना 56, एनसीपी 54 और काँग्रेस 44 सीट्स ही पा सकी । वहीं निर्दलीय 9 सीट्स पर रहे ।
राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिये बीजेपी को बुलाया । इधर, शिवसेना ने मौके का फायदा उठाने की सोच के साथ मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर दी । बीजेपी को यह मंज़ूर नहीं हुआ ।
आपको बता दें कि बीजेपी-शिवसेना और काँग्रेस-एनसीपी के गठबंधन रहा । चुनाव में बीजेपी 105 सीट पाकर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी बहुमत के 144 सीट्स से बहुत दूर थी । अपने गठबंधन के साथी शिवसेना, जिसे 54 सीट मिली थी, उसके साथ आसानी से, वो सरकार बना सकते थे । पर यहाँ शिवसेना लालच में पड़ गई और मुख्यमंत्री पद के लिये अड़ गई । यह बीजेपी को मंज़ूर नहीं था । और बीजेपी ने सरकार बनाने के दावे से इंकार कर दिया ।
अब, मुख्यमंत्री पद के लिए छटपटा रही शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ने काँग्रेस और एनसीपी के रुख़ किया और इन दोनों के कहने पर केंद्र के अपने एकमात्र मंत्री से इस्तीफा दिलवा दिया ।
इधर, काँग्रेस और एनसीपी राजनीति के चाणक्य हैं । उन्होंने उद्वव ठाकरे के उतावलापन समझ लिया । दोनों ने बड़े धीरज और संयम के साथ सरकार बनाने में कोई तत्परता नहीं दिखाई और अपने पत्ते अभी खोले नहीं हैं ।
राज्यपाल ने अब शिवसेना को सरकार बनाने के लिए बुलाया तो काँग्रेस और एनसीपी का समर्थन जारी नहीं होने के कारण वो बहुमत साबित नहीं कर पाई ।और राज्यपाल से 48 घण्टों का समय मांगा जिस खारिज कर दिया गया ।
तीसरी बार राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया । एनसीपी के शरद पवार तो मिलकर सरकार बनाने को तैयार हैं पर काँग्रेस में अभी तक समर्थन देने पर विचार करते हुए बैठकों का दौर चल रहा है । शरद पवार अभी भी चुप्पी साधे हुए हैं । उन्होंने सोनिया गांधी पर दबाव बनानजे शुरू कर दिया है ।
इन सबसे बड़ी बात यह है कि बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी तीनों दलों में शायद ऐसा कोई नहीं है जो सोनिया गांधी की सोच और रणनीति को टक्कर दे सकें । क्योंकि खासकर महाराष्ट्र में अभी कोई ऐसा नेतृत्व नहीं है जो जनाधार या राजनीतिक सोच वाला हो । अभी तक यही समझ आ रहा है कि काँग्रेस के समर्थन के बिना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन सकती है । बात सिर्फ इस पर अटकी हुई है कि काँग्रेस बाहर सेे समर्थन दे या सरकार के साथ रहे क्योंकि काँग्रेस के विधायक सरकार में शामिल होना चाहते हैं ।
राष्ट्र में, अभी तक तो यही समझ आ रहा है कि शिवसेना, एनसीपी और काँग्रेस सरकार बना सकती है । वर्ना राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नज़र नहीं आ रहा । और फ़िर 6 माह बाद महाराष्ट्र, दोबारा चुनाव में जा सकता है, जिसके लिए शायद कोई भी दल तैयार नहीं होगा ।
आज, राजनीति का सबसे संवेदनशील दिन होगा । महाराष्ट्र की राजनीति, सबसे बड़ा सबक होगा जिस पर शोध भी किया जा सकता है ।