दिल्ली, 16 सितंबर 2024, 23.05 hrs : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने राजनीतिक करियर के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. कथित दिल्ली शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत ऐसी शर्तों के साथ दी है जिसके कारण केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे पर विचार करने और अपने एक विश्वसनीय उत्तराधिकारी नियुक्त करने पर मजबूर होना पड़ा ।
कोर्ट की शर्तों के अनुसार केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय, दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते हैं । अरविंद केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफा देने के इस कदम में रिस्क भी शामिल है, साथ ही उन्हें और उनकी पार्टी को इससे फायदा भी मिल सकता है ।
केजरीवाल का उत्तराधिकारी वही होगा जो उनका वफादार हो, जिसकी निष्ठा और योग्यता पर उन्हें पूर्ण विश्वास हो. कयास यह भी लगाये जा रहे हैं कि केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है । नया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की देखरेख में ही काम करेगा । इससे वह प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम होंगे । केजरीवाल जनता को यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई, इसके बावजूद उन्होंने काम करना जारी रखा ।
दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले अरविंद केजरीवाल अपनी योजना को भी लागू करवाना चाहेंगे । दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री जो भी बनेगा, वह उनके निर्देशों के तहत इस योजना पर तत्काल काम शुरू करेगा । यदि उपराज्यपाल (एलजी) की ओर से उनकी योजना के कार्यान्वयन में कोई अड़चन आती है, तो यह केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए एक मौका होगा । चुनाव से पहले केजरीवाल जनता की सहानुभूति प्राप्त करना चाहेंगे ।
दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जा सकता है जिसमें विश्वास प्रस्ताव पारित करके यह संदेश देने की कोशिश की जा सकती है कि AAP के सभी विधायक एकजुट हैं । विधानसभा के विशेष सत्र में केजरीवाल बीजेपी पर हमला कर सकते हैं और भविष्य के रोडमैप को लेकर अपनी बात रख सकते हैं । इन सब से केजरीवाल जनता की सहानुभूति भी के सकते हैं । वैसे इस्तीफे का यह दाँव उनके लिए जोखिम भरा भी हो सकता है ।
हरियाणा में AAP संगठन कमज़ोर होने के बावजूद, चुनाव में सभी 90 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रही है जो पार्टी के लिए एक कठिन चुनौती होगी ।