* पुलिसकर्मी बने कारोबारी, खुद की गाड़ी लगाकर विभाग से वसूल रहे किराया ।
* ट्रैवल्स संचालक की मिलीभगत से पुलिस लाइन में गाड़ी किराए में चलाने का खेल ।
* अधिकारी और कर्मचारी की गाड़ी ट्रेवल्स संचालक के माध्यम से चल रही लाइन पर ।
रायपुर . छत्तीसगढ़ की राजधानी पुलिस के अधिकारी-कर्मियों की गाड़ी महकमे में किराए में लगाने का बड़ा खेल चल रहा है ।
कुछ ट्रेवल्स संचालक से मिलीभगत करके राजधानी में पदस्थ पुलिसकर्मी अपनी निजी गाड़ी पुलिस लाइन में अटैच करके विभाग से किराया वसूल रहे है । विभागीय अधिकारियों को भी इस कारनामे की जानकारी है, लेकिन सब कुछ जानकर भी अंजान बने हुए हैं । पुलिस लाइन से हर माह लाखों रुपए गाड़ी मालिकों को ट्रेवल्स संचालक के माध्यम से दिया जाता है । पैसा लेने के बाद भी गाड़ी मालिक मनमानी करते हैं और समय पर गाड़ी ना भेजकर वर्दी का रौब दिखाते हैं ।
एक गाड़ी का किराया 40 से 55 हजार रुपए :
पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस लाइन में अटैच बड़ी गाडिय़ों का औसत किराया 40 से 55 हजार के बीच है । ये गाडिय़ां वीआईपी मूवमेंट के दौरान पायलट-फॉलो और विभागीय अधिकारियों के रोजाना काम में इस्तेमाल होती है । मोटा किराया मिलने की वजह से विभागीय अधिकारी और कर्मी गाड़ी खरीदकर किराए पर लगा देते है । जांच के दौरान कार्रवाई ना हो इसलिए रिश्तेदार की गाड़ी बताकर ट्रैवल्स संचालक को बीच में रखा जाता है और उसे प्रति गाड़ी कमीशन दिया जाता है ।
लगभग 80 गाड़ी चल रही किराए पर :
वर्तमान में पुलिस लाइन में लगभग 80 गाड़ी किराए पर चल रही है । इनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा गाडिय़ों का रजिस्ट्रेशन पुलिसकर्मी या उनके परिवार के सदस्यों के नाम है । लाइन में गाड़ी चलाने का खेल विगत 5 वर्षों से किया जा रहा है । हर बार विभागीय अधिकारी बदलते है, लेकिन स्थिति जस की तस रहती है । पुलिस सूत्रों की माने तो 80 में से 30 गाडिय़ों को वर्तमान में खड़ा करके पुलिस लाइन में किराया दिया जा रहा है । इन्हें पूछने वाला कोई भी नहीं है ।
हो चुका है विवाद :
1 सितंबर की शाम को रायपुर पुलिस लाइन में एएसआई और सूबेदार आपस में भिड़ गए । दोनों के बीच विवाद होने की वजह विभाग द्वारा एएसआई के परिवार के सदस्य की गाड़ी का किराया ना देना बताया जा रहा है । मामले का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ, जिसके बाद रायपुर एसएसपी आरिफ शेख ने एएसआई पर कार्रवाई कर दी । इस मामले के बाद विभागीय अधिकारियों और कर्मियों की गाड़ी विक्की नामक युवक के नाम से अटैच करने का हल्ला उठा था, लेकिन विभागीय अधिकारियों की पोल ना खुले इसलिए मामला अफसरों ने दबा दिया ।