नई दिल्ली, 20 अक्टूबर 2021, 15.10 hrs : पंजाब की सियासी उथल पुथल और कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी के बीच, राजनीतिक पंडित एक बार फिर कांग्रेस में विभाजन की आशंका जताने लगे हैं । ये पहला मौका नहीं होगा, जब कांग्रेस विभाजन का दंश झेलेगी ।
आजादी से पहले दो बार और आजादी के बाद कांग्रेस में 61 बार दरार पड़ी । 2016 में अजीत जोगी ऐसे आखिरी कांग्रेसी थे, जिन्होंने अपनी नई पार्टी बनाई । इस तरह कांग्रेस के इतिहास में अब तक 63 बार ऐसे बड़े मौके आए, जब नेताओं ने अलग होकर नई पार्टी बना ली ।
आजादी के बाद 61 बंटवारे :
आजादी के बाद कांग्रेस में सबसे ज्यादा फूट पड़ी । 2016 तक कांग्रेस छोड़ने वाले नेता 61 नई राजनीतिक पार्टी शुरू कर चुके हैं । आजादी के बाद कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं ने 1951 में तीन नई पार्टी खड़ी की । इसमें जीवटराम कृपलानी ने किसान मजदूर प्रजा पार्टी, तंगुतूरी प्रकाशम और एनजी रंगा ने हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी और नरसिंह भाई ने सौराष्ट्र खेदूत संघ नाम से अलग राजनीतक दल शुरू की । इसमें हैदराबाद स्टेट प्रजा पार्टी का विलय किसान मजदूर प्रजा पार्टी में हो गया । बाद में किसान मजदूर प्रजा पार्टी का विलय प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और सौराष्ट्र खेदूर संघ का विलय स्वतंत्र पार्टी में हो गया ।
1956-1970 तक 12 नए दल :
कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे सी. राजगोपालाचारी ने 1956 में पार्टी छोड़ दी थी । राजगोपालाचारी ने पार्टी छोड़ने के बाद इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक्स कांग्रेस पार्टी की स्थापना की । ये पार्टी मद्रास तक ही सीमित रही । हालांकि, बाद में राजगोपालाचारी ने एनसी रंगा के साथ 1959 में स्वतंत्र पार्टी की स्थापना कर ली और इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक्स पार्टी का इसमें विलय कर दिया ।
स्वतंत्र पार्टी का फोकस बिहार, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा और मद्रास में ज्यादा था । 1974 में स्वतंत्र पार्टी का विलय भी भारतीय क्रांति दल में हो गया था । इसके अलावा 1964 में केएम जॉर्ज ने केरल कांग्रेस नाम से नई पार्टी का गठन कर दिया। हालांकि, बाद में इस पार्टी से निकले नेताओं ने अपनी सात अलग-अलग पार्टी खड़ी कर ली । 1966 में कांग्रेस छोड़ने वाले हरेकृष्णा मेहताब ने ओडिशा जन कांग्रेस की स्थापना की। बाद में इसका विलय जनता पार्टी में हो गया ।
इंदिरा को ही पार्टी से निकाल दिया गया :
ये बात 12 नवंबर 1969 की है। तब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ही पार्टी से निकाल दिया । उन पर अनुशासन भंग करने का आरोप लगा था । इसके जवाब में इंदिरा गांधी ने नई कांग्रेस खड़ी कर दी। इसे कांग्रेस आर नाम दिया । इंदिरा से विवाद के चलते ही के. कामराज और मोरारजी देसाई ने इंडियन नेशनल कांग्रेस ऑर्गेनाइजेशन नाम से अलग पार्टी बनाई थी । बाद में इसका विलय जनता पार्टी में हो गया ।
1969 में ही बीजू पटनायक ने ओडिशा में उत्कल कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में मैरी चेना रेड्डी ने तेलंगाना प्रजा समिति का गठन किया । इसी तरह 1978 में इंदिरा ने कांग्रेस आर छोड़कर एक नई पार्टी का गठन किया । इसे कांग्रेस आई नाम दिया। एक साल बाद यानी 1979 में डी देवराज यूआरएस ने इंडियन नेशनल कांग्रेस यूआरएस नाम से पार्टी का गठन किया । देवराज की पार्टी अब अस्तित्व में नहीं है ।
जब अलग हुए ममता और पवार :
1998 में ममता बनर्जी ने काँग्रेस छोड़कर ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस बना ली थी । वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं । इसके एक साल बाद ही शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन कर लिया था । अब इसे एनसीपी के नाम से जाना जाता है । शरद पवार अभी भी इसके प्रमुख हैं । आखिरी बार 2016 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के बड़े नेता रहे अजीत जोगी ने पार्टी छोड़कर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से नया दल बना लिया ।