छत्तीसगढ़ में दिसंबर में होने वाले नगरीय चुनाव में अब तक, कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों में स्तिथि यह थी कि वर्तमान पार्षदों और महापौर के अलावा अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं ने टिकट की दावेदारी ज़ोरदार तरीके से कर दी थी । इन दावेदारों को रोकने का सरल तरीका यही निकला की महापौर का चुनाव, जीते हुए पार्षदों द्वारा करवाया जाए ।
महापौर का चुनाव, पार्षदों द्वारा किये जाने का नियम 20 वर्ष पूर्व, जब काँग्रेस की सरकार थी, तब था । किंतु पिछले 15 सालों से प्रदेश में रही बीजेपी सरकार ने नियम बदलकर महापौर का सीधा चुनाव करवाने की नीति अपनाई थी ।
काँग्रेस की भूपेश सरकार बनने के बाद अचानक 15 साल वाले नियम को बदलने की चर्चा चल रही थी । इस बीच मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पहले ही घोषित कर दिया था कि वहाँ महापौर का चुनाव पार्षद ही करेंगे । छत्तीसगढ़ में भी वही नियम लागू करने की चर्चा चली और अब यह एक तरह से तय हो गया है कि आगामी निगम चुनाव में महापौर पार्षद ही चुनेंगे ।
इस नए नियम से अब उन नेताओं की हालत सोचनीय हो गई है जो महापौर का डायरेक्ट चुनाव लड़ने के इच्छुक थे, अब उन्हें पहले वार्ड चुनाव जीतना होगा तभी वे महापौर की दौड़ में शामिल हो सकेंगे ।
इसी कड़ी में रायपुर के एक, इंदिरा गांधी वार्ड क्रमांक 27 में लगातार 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रह चुका है जिसमें 2014-15 नगरी निकाय चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी इंदिरा गांधी वार्ड में काबिज हुई इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से युवा प्रत्याशी इंजीनियर अमित कुमार यदु भाजपा को उनकी सरकार रहते हुए जोरदार टक्कर दी और लगातार आज तक इंदिरा गांधी वार्ड में जनता की पहली पसंद बने हुए हैं । कांग्रेस की सरकार आते ही बहुत से दावेदार अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं जिसमें ब्लॉक अध्यक्ष अरुण जंघेल, राहुल श्रीवास्तव, सुरेश चन्नावार, राधे नायक, उमेश यादव अपनी दावेदारी कांग्रेस पार्टी से पेश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान पार्षद भावेश पिथालिया, युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष राजेश पांडेय, अशोक क्षेतिज़ा, आशीष आहूजा, सुभाष अग्रवाल अवतार सिंह बादल प्रमुख रूप से दावेदार हैं वहीं राकपा से नीलकंठ त्रिपाठी । अब इनमें से टिकट किसे मिलती है और क्या इनमें से कोई एक महापौर बनने की दौड़ में शामिल होते हैं, ये आने वाला समय ही बताएगा ।