सरकार का ग़लत दावा कि दुनिया का कोई भी देश बच्चों को वैक्सीन नहीं दे रहा… बाद में दी सफ़ाई…

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नई दिल्ली, 29 मई 2021, 11.45 hrs : कोविड-19 महामारी का जिस तरह से सामना किया गया है और सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होने के बावजूद देश में जीवन-रक्षक वैक्सीन की कमी होने की वजह से भारत सरकार की आलोचना की जा रही है.

सरकार ने 27 मई को एक लिस्ट जारी की जिसमें टीकाकरण प्रोग्राम के इर्द-गिर्द फैल रहे भ्रम बताये गए थे. इस लिस्ट को जारी करने का उद्देश्य लोगों को ये बताना था कि सरकार बाहर से वैक्सीन मंगवाने का, घरेलू उत्पादन बढ़ाने का और राज्यों को वैक्सीन मुहैया कराने और बच्चों के टीकाकरण के लिए अनवरत प्रयास कर रही है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीआईबी प्रेस रिलीज़ का एक लिंक ट्वीट किया जो ये दावा करता है “अभी तक, दुनिया का कोई भी देश बच्चों को वैक्सीन नहीं दे रहा है. WHO ने बच्चों के टीकाकरण के पक्ष में कुछ नहीं कहा है.

ग़लत दावों की सच्चाई NITI आयोग के सदस्य डॉक्टर विनोद पॉल ने बतायी. रेल मंत्री पियूष गोयल ने भी वो हिस्सा ट्वीट किया जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि दुनिया का कोई भी देश बच्चों का टीकाकरण नहीं कर रहा है.

NITI आयोग की रिलीज़ के बारे में न्यूज़ एजेंसी ANI ने रिपोर्ट किया. इसके अलावा ऐसा करने वालों में और भी मीडिया आउटलेट्स शामिल थेPIB इंडिया और ऑल इंडिया रेडियो न्यूज़ के ट्विटर हैंडल्स ने भी ऐसा ही दावा करने वाला ग्राफ़िक पोस्ट किया.

फ़ैक्ट-चेक :

ये दावा कि किसी भी देश ने बच्चों के लिए टीकाकरण की शुरुआत नहीं की है, ग़लत है. ये कई जगहों पर ख़बर में आ चुका है कि यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) ने बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है. 12 से 15 साल के बीच की उम्र के करीब 6 लाख बच्चों को फ़ाइज़र-बायोएनटेक की कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज़ मिल चुकी है. ये आंकड़ा 18 मई तक का था.

द न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, मई 2021 में फ़ूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने 12 से 17 वर्ष की उम्र के बच्चों को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए फ़ाइज़र-बायोएनटेक वैक्सीन की इजाज़त दी थी. आने वाले महीनों में मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन, इन दो टीकों को भी इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाज़त मिलने की संभावना है.

जर्मन न्यूज़ एजेंसी DW की रिपोर्ट के अनुसार 5 मई को कनाडा वो पहला देश बना था जिसने 12 साल से बड़ी उम्र के बच्चों के टीकाकरण को मंज़ूरी दी थी. कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (CBC) ने 27 मई को एक आर्टिकल में बताया, “ओंटेरियो और क्यूबेक, दोनों ही 12 साल की उम्र के बच्चों को टीका दे रहे हैं. अपॉइंटमेंट के दिन तक बच्चों को 12 साल की उम्र का होना ज़रूरी है.”

24 मई को UAE के द नेशनल न्यूज़ ने रिपोर्ट किया, “UAE के प्राइवेट स्कूलों ने अधिकारियों द्वारा 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फ़ाइज़र और बायोएनटेक को मंज़ूरी देने के बाद हज़ारों छात्रों को कोविड-19 के ख़िलाफ़ इम्यून कर दिया है.”

डीपीएस दुबई ने भी हाल ही में ट्वीट करते हुए 12 साल के ऊपर के बच्चों के लिए टीकाकरण अभियान के बारे में बताया था.

क़तर ने भी बच्चों के टीकाकरण के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की शुरुआत कर दी है.

ऐसी रिपोर्ट्स भी हैं जिसमें ये बताया गया रहा है कि बहरीन ने 12 साल के ऊपर के बच्चों के लिए फ़ाइज़र-बायोएनटेक की वैक्सीन को मंज़ूरी दे दी है.

<span;>WHO बच्चों को टीका देने की वक़ालत नहीं करता है</span;> <span;>?</span;>
एक तरफ़ जहां सरकार का ये दावा कि दुनिया के किसी भी देश ने बच्चों के टीकाकरण की शुरुआत नहीं की है, ग़लत पाया गया, वहीं ये सच है कि WHO ने बच्चों के टीकाकरण की वक़ालत नहीं की है. जिस वक़्त ये आर्टिकल लिखा जा रहा है, उस वक़्त तक WHO की वेबसाइट का ये कहना है – “अभी तक इतने ठोस सबूत नहीं मिले हैं जो कोविड के ख़िलाफ़ बच्चों के टीकाकरण के हक़ में बात करें. बच्चों और किशोरों में वयस्कों से कम बीमारियां होती हैं. लेकिन बच्चों को ज़रूरी वैक्सीन ज़रूर लगायी जानी चाहिए.”

लेकिन Center for Disease Control and Prevention का कहना है, “12 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोविड का टीका लगवाना चाहिए जिससे कोविड-19 से बचाव किया जा सके.” CDC ने कहा है कि 12 साल के ऊपर के बच्चे फ़ाइज़र-बायोएनटेक वैक्सीन ले सकते हैं.

सरकार ने वापस लिया बयान, दी सफ़ाई :
जब ये कहा जाने लगा कि कई देशों में बच्चों को टीका दिया जा रहा है, उसके 7 घंटों बाद NITI आयोग के डॉक्टर वीके पॉल ने ANI को एक बयान दिया. उन्होंने कहा, “1-2 देश अब ये करना शुरू करेंगे. WHO ने बच्चों की जनसंख्या को कवर करने के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा है क्यूंकि बच्चों में बीमारी बेहद कम पायी जा रही है.”

वित्त मंत्री ने इस सफ़ाई को कोट-ट्वीट किया. :
प्रेस रिलीज़ को बाद में अपडेट कर दिया गया जिसमें लिखा था, “रिलीज़ में बताया गया है कि ‘दुनिया में कोई भी देश बच्चों को टीका नहीं लगा रहा है.’ ये ऐसा होना चाहिए- ‘दुनिया में कोई भी देश 12 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका नहीं दे रहा है’”. इसके साथ ही उन्होंने इसे ‘लिखने में हुई गलती’ बताया.

पीआईबी ने बाद में अपना पुराना ट्वीट डिलीट कर दिया और दूसरा ट्वीट पोस्ट करते हुए लिखा ’12 साल के कम उम्र के बच्चे (children under 12 years)’

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