रायपुर, 27 मई 2021, 16.45 hrs : कोरोना संक्रमण के साथ ही कुछ दिनों से देश में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं । ब्लैक फंगस के केस महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, और ओडिशा में मिले हैं ।
ब्लैक फंगस से लोगों में भय और घबराहट फैल रही है । कुछ प्रदेशों में इसके लिए अस्पतालों में अलग से वार्ड बनाए गए है । ब्लैक फंगस के खतरे लेकर लोगों में चिंता, भय और घबराहट फैल रही है ।
वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि भय के कारण हमारे पास रोज अनेक फोन आते हैं, जिसमें मरीज पूछते है कि मुझे ब्लैक फंगस तो नहीं हो जाएगा । जांच के लिए आने वाले मरीज भी पूछते हैं, डॉक्टर साहब आजकल ब्लैक फंगस के बारे में बहुत सुन रहे हैं, जरा अच्छे से जांच करके बता दीजिए कि हमको ब्लैक फंगस तो नहीं है । डॉ.मिश्र ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि ब्लैक फंगस के सम्बंध में बहुत अधिक डरने की जरूरत नहीं है । ब्लैक फंगस न ही हर किसी को होने वाला है और न ही यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाली छूत की संक्रामक बीमारी है । इसके लिए पैनिक न करें,सिर्फ सावधानी रखें । डॉ. मिश्र ने ब्लैक फंगस के बारे में विस्तृत जानकारी दी ।
ब्लैक फंगस क्या है :
ब्लैक फंगस को वैज्ञानिक भाषा में म्यूकोर माइकोसिस कहा जाता है । यह कोई नया फंगस नहीं है । बल्कि यह यह वातावरण में मौजूद रहते हैं। हवा में, मिट्टी में, खराब फल, सब्जियां में, धूल में, प्रदूषित पानी में भी मौजूद रहता है । लेकिन यह तब तक हमारे ऊपर असरहीन रहता है, जब तक हमारी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है । अगर किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता में कमी है, उसमें बीमारियों से लड़ने की ताकत में कमी आती है तो यह फंगस बहुत तेजी से व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है ।
इसे ब्लैक फंगस क्यों कहा जाता है :
इस फंगस संक्रमण में शरीर पर जो चकत्ते पड़ते हैं, अधिकांश काले रंग के होते हैं इसलिए ब्लैक फंगस कहा जाता है । यह फंगस हमारे शरीर में नाक से प्रवेश करता है और नाक की जो म्यूकस मेम्ब्रेन होती है उसको भी संक्रमित करता है । नाक के पीछे जो साइनस होता है,उसको संक्रमित करता है । जबड़े, तालू ,जीभ को संक्रमित करता है और वह धीरे-धीरे आंखों के हिस्से को संक्रमित करने लगता है । यदि सही समय पर सही उपचार ना हो पाए,जानकारी ना हो पाए तो किसी भी व्यक्ति आंखों की नसों व हड्डियों से होते हुए यह संक्रमित व्यक्ति के मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है,जो घातक सिद्ध हो सकता है ।
किन लोगों में होने की संभावना ज्यादा है :
ब्लैक फंगस कोरोना से संक्रमित हुए हर व्यक्ति में नहीं होता। ऐसे व्यक्ति, जिन्हें अनकंट्रोल डायबिटीज है, जिनका ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं आ रही है और उसके कारण उनकी प्रतिरोधक क्षमता घट गई है ऐसे लोगों को यह फंगस जल्दी ही अपना शिकार बना सकता है ।
ऐसे व्यक्ति जिनको कोरोना के कारण हुए निमोनिया के चलते बहुत दिनों तक आईसीयू में वेंटिलेटर पर या ऑक्सीजन में रहना पड़ा हो, उन्हें यह संक्रमित करता है ।
ऐसे व्यक्ति जिन्हें लंबे समय तक स्टेरॉयड का सेवन किया हो उनकी भी प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है । ऐसे व्यक्ति जो कैंसर की दवा ले रहे हैं, वह भी प्रतिरोधक क्षमता को कम करती है । ऐसे व्यक्ति जिनको शरीर में कोई अंग प्रत्यारोपण हुआ है और उन्हें लम्बे समय तक स्टेरॉयड दवा चल रही है और प्रतिरोधक क्षमता कम हो, फंगस आसानी से अपना शिकार बना सकता है ।
संक्रमण के लक्षण :
यह फंगस नाक के रास्ते से प्रवेश करता है । इसलिए नाक बंद होना,सर्दी लगना,नाक से पानी आना, दर्द होना, सूजन आना,काले धब्बे दिखाई पड़ना, मुंह में तालू में काले धब्बे दिखाई पड़ना, पलकों में सूजन आना, आंखों का बाहर निकलना, आंखें ठीक से खोल नहीं पाना आंखों की मूवमेंट में कमी आना,आंख से धुंधला दिखना,सिर में तेज दर्द होना । यदि समय पर उपचार ना हो पाता है तो यह संक्रमण मस्तिष्क में पहुंच जाता है और मस्तिष्क में होने वाली बीमारियां भी हो सकती है, जैसे पक्षाघात, हाथ पैर अकड़ना और व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है । लेकिन यह बहुत कम मामलों में होता है ।
कोरोना संक्रमण किसी भी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है । ऑक्सीजन की कमी के चलते बहुत सारे लोग जो घरों में ऑक्सीजन ले रहे हैं, उन्हें भी बहुत सारी सावधानियों का पता नहीं होता । सिलेंडर से एक बोतल आती है, जिसमें स्वच्छ पानी भरा होता है उससे गुजार कर ही ली जाती है तो उस पानी को बदलना जरूरी होता है, अगर वह पानी पुराना हो जाता है उसमें फंगस संक्रमण हो सकता है, जो वायु, ऑक्सीजन के साथ नाक में प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए स्वच्छता और सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता होती है ।
ब्लैक फंगस का उपचार
यह संक्रमण इम्यूनिटी या प्रतिरोधक क्षमता में कमी से होता है, इसलिए हमें अपनी इम्युनिटी बढ़ाये रखने की आवश्यकता होती है । यदि आप किसी भी बीमारी से ग्रस्त हैं तो आप उसका उपचार लेते रहिए । जैसे अगर आपको डायबिटीज है तो आप ध्यान रखें कि आपका ब्लड शुगर एक नार्मल रेंज में रहे ।
म्यूकोर मयकोसिस फंगस के उपचार के लिए एंटीफंगल दवाओं की आवश्यकता पड़ती है और साथ ही लक्षणों के आधार पर दवाएं दी जाती हैं । जो 3 से 4 हफ्ते तक चल सकती हैं और यदि जल्द ही बीमारी पकड़ में आ जाए, सही डाइग्नोसिस हो जाए तो किसी भी अंग को हानि नहीं होती और व्यक्ति जल्दी से ठीक हो सकता है ।
साथ ही एक अंतिम और महत्वपूर्ण बात आज सोशल मीडिया में कोरोना के उपचार के सम्बंध में भ्रामक,तथ्यहीन बातें आ रही हैं, जिनमें से कुछ अंधविश्वास भरी, काल्पनिक और बेसिर पैर की अफवाहें है । लोगों को ऐसी बातों पर भरोसा न कर अपने चिकित्सक पर भरोसा करना करना चाहिए और उनके निर्देशों का पालन करना चाहिए ।