दिल्ली, 24 दिसम्बर 2020, 15.45 हरष : हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक रहे मोहम्मद रफी की आज 97वीं जयंती है । उनके गाए नगमे आज भी हर किसी की जुबान पर हैं । अपने अमर नगमों के लिए चर्चित मोहम्मद रफी के निजी जीवन जीवन की बात करें तो वह बेहद ही अनुशासित थे। वह फिल्मी पार्टियों से दूर ही रहते थे ।
9 स्मोकिंग और ड्रिंकिंग से दूर रहने वाले मोहम्मद रफी अपने घर से सीधे रिकॉर्डिंग रूम और फिर रिकॉर्डिंग रूम से घर आने के लिए जाने जाते थे । मोहम्मद रफी की दो शादियां हुई थी । हालांकि उनकी पहली शादी का अंत क्यों हुआ था, इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं ।
पंजाब के अमृतसर जिले के कोटला सुल्तान सिंह गांव में जन्मे मोहम्मद रफी की पहली शादी बशिरा से उनके पैतृक गांव में ही हुई थी । दोनों की जिंदगी काफी अच्छी चल रही थी और उनका एक बेटा भी हुआ था, जिसका नाम सईद था ।
विजय पुलक्कल की पुस्तक ‘Remembering Mohmmad Rafi’ के मुताबिक 1947 में भारत के विभाजन के दौरान हुए दंगों में अपने माता-पिता को गंवाने के बाद बशिरा ने भारत छोड़ने का फैसला ले लिया था । वह भारत में नहीं रहना चाहती थीं । वह लाहौर में जाकर बस गई थीं, जबकि गायकी में अपना करियर बना रहे मोहम्मद रफी ने भारत में ही रहने का फैसला लिया था ।इसके बाद उन्होंने दूसरी शादी बिलकिस से की थी ।
मोहम्मद रफी के संगीत की ओर रुझान की कहानी भी बेहद दिलचस्प है । उनके परिवार में किसी का भी संगीत से कोई नाता नहीं था, लेकिन गांव में आने वाले फकीरों के गानों को मोहम्मद रफी गुनगुनाते रहते थे । हालांकि मोहम्मद रफी की गायन की प्रतिभा को उनके पिता के एक दोस्त ने पहचाना और उन्हें मुंबई जाने के लिए प्रेरित किया । इसके बाद उन्होंने उस्ताद बड़े गुलाम अली खां, उस्ताद अब्दुल वाहिद खां, पंडित जीवन लाल मट्टू और फिरोज निजामी जैसे गायकों से संगीत की शिक्षा ली । उनकी पहली परफॉर्मेंस लाहौर में सिर्फ 13 साल की उम्र में हुई थी, जब उन्होंने तब के मशहूर गायक के.एल सहगल की नकल करते हुए गाया था ।
इस फिल्म में मोहम्मद रफी को मिला था पहला ब्रेक : फिल्मी करियर की बात करें तो मोहम्मद रफी को पहला मौका पंजाबी फिल्म गुल बलोच में मिला था । यह फिल्म 1944 में रिलीज हुई थी । इसी साल उन्हें लाहौर के ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन से गाने का मौका मिला था । इसके बाद अगले साल उन्हें हिंदी फिल्म गांव की गोरी में गाने का मौका मिला । 1945 में आई इस फिल्म के बाद मोहम्मद रफी का करियर तौर पर शुरू हो गया था और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ।